चेन्नमपल्ली गांव में मौजूद बीबीसी के सहयोगी संवाददाता डीएल नरसिम्हा ने क़िले का दौरा और वहां के स्थानीय निवासियों और अधिकारियों से बात की।
”हमने देखा कि उस जगह पर विशेष कलेक्टर, राजस्व विभागीय अधिकारी और पुलिस के उपाधीक्षक मौजूद थे। जब हमने उनसे खुदाई के बारे में सवाल किया तो उन अधिकारियों ने बताया कि वे सिर्फ़ इसलिए खुदाई करवा रहे हैं ताकि दबे हुए खजाने से जुड़ी झूठी ख़बरों की सच्चाई सामने लाई जा सके।”
सबासप्पा ने आगे बताया, ”हमने उनसे यह भी पूछा कि वे गांववालों को सूचित किए बिना खुदाई कैसे कर सकते हैं। अगले दिन हमने इस मसले पर ग्राम सभा की, जहां 12 सदस्यों वाली कमेटी ने खुदाई ज़ारी रखने का प्रस्ताव पास किया।”
पहले भी हो चुकी है खुदाई
एक अन्य स्थानीय निवासी अकबर वली ने बताया, ”इस जगह को छिपे हुए खजाने के लिए जाना जाता है। साल 2002 में अनंतपुर से कलेश्वर नाम का एक आदमी आया था, उसने सभी गांव वालों से यह वादा किया था कि अगर हम खजाना खोजने में उसकी मदद करेंगे तो वह सभी गांववालों को सोना देगा। हालांकि उस समय पुलिस अधिकारियों ने ऐसा करने पर रोक लगा दी थी। इस जगह पर पिछले 10-12 सालों से समय-समय पर खुदाई का काम होता रहता है।”
अकबर ने बताया कि आजतक किसी भी खुदाई से कुछ निकल कर नहीं आया। रेवेन्यू डिविजनल इंस्पेक्टर ओबुलेसु की निगरानी में खुदाई का ताज़ा काम चल रहा है। बीबीस को ओबुलोसु ने बताया, ”ज़िलाधिकारी को इस तरह की सूचनाएं मिली थी कि यहां किले में भारी मात्रा में ख़जाना दबा हो सकता है, इसलिए इन सभी झूठी अफ़वाहों को दूर करने के मक़सद से यह खुदाई की जा रही है। इस तरह की शिकायतें भी मिली थी कि कुछ लोग रात के वक्त क़िले में खुदाई करते हैं।”
उन्होंने आगे बताया, ”यह खुदाई का काम खनन अधिनियमों के नियमों के तहत ही करवाया जा रहा है, क्योंकि पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों ने भी क़िले में कुछ खनिज संपदा होने के संकेत दिए थे।”
केंद्रीय और राज्य पुरातत्व अधिकारियों के अनुसार चेन्नमपल्ली क़िला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता इसलिए वहां होने वाली खुदाई पर वे किसी तरह का आदेश नहीं दे सकते।
पुरातत्व अधिकारी खुदाई में मिलने वाली ईटों और हड्डियों का निरीक्षण कर रहे हैं, उनसे जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे यहां पर कमिश्नर के आदेश के बाद आए हैं जिससे खुदाई में मिलने वाली चीजों की सूची तैयार की जा सके।