इस तरीके से दिल्ली में प्रदूषण होगा कम, फिलहाल US-ब्राजील में चल रहा ट्रायल

दिल्ली की प्रदूषित हवा को एच-सीएनजी से चलने वालीं 50 बसें साफ करेंगी। यह बसें अगले साल से सड़कों पर नजर आने लगेंगी। सीएनजी बसों की तुलना में एच-सीएनजी बसें 70 फीसद तक कम प्रदूषण करेंगी। इनके लिए किसी एक डिपो में व्यवस्था की जाएगी। यह काम इंडियन ऑयल करेगी। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (सीएसई) की क्लीन एंड लो कार्बन मोबिलिटी पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में यह जानकारी पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के चेयरमैन डॉ. भूरेलाल ने दी।

उन्होंने बताया कि सीएनजी में 18 फीसद तक हाइड्रोजन मिलाकर एच-सीएनजी स्वच्छ ईंधन तैयार किया जाएगा। अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और दक्षिणी कोरिया में इसका ट्रायल चल रहा है। ईपीसीए की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 5500 बसों के लिए रोज करीब 400 टन एच-सीएनजी की जरूरत होगी, जबकि इसके लिए चार डिस्पेंसिंग यूनिट पर 330 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

इस ईंधन से वाहनों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में भी काफी कमी आएगी। इसके अलावा अब दिल्ली में रिमोर्ट सेंसिंग टेक्नोलॉजी से प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर रोक लगाने की तैयारियां चल रही हैं। ऐसे उपकरण दिल्ली की सीमा पर लगाए जाएंगे। इनके जरिये गाड़ियों से निकलने वाले धुएं में मौजूद प्रदूषक तत्वों का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा।

दिल्ली की सीमाओं पर लगने वाले रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन (आरएफआइडी) के साथ ही इस टेक्नालॉजी पर भी काम शुरू किया जा चुका है। इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित इस कार्यशाला में डॉ. भूरेलाल ने बताया कि रिमोर्ट सेंसिंग टेक्नालॉजी से लोगों में चालान का डर होगा और वह वाहनों का रखरखाव ठीक से करेंगे।

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