उत्तराखंड: दुर्गम इलाकों में मतदान नहीं आसान, इतने पोलिंग बूथों में संचार का नहीं है साधन

उत्तराखंड में दुर्गम भूगोल वाले राज्य में सकुशल चुनाव सम्पन्न कराना आयोग के लिए टेढ़ा काम साबित हो रहा है। राज्य के 310 पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जहां कोई संचार का साधन नहीं है। इस कारण यहां सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए सैटेलाइट फोन और पुलिस वायरलैस पर ही निर्भर रहना होगा।

निर्वाचन आयोग ने ऐसे बूथ को शैडो स्टेशन के तौर पर चिन्हित किया है। इसमें सर्वाधिक 66 बूथ पिथौरागढ़ जिले में हैं, जबकि उत्तरकाशी में 62 और पौड़ी में 57 केंद्र इस श्रेणी में आते हैं। प्रदेश में एक मात्र देहरादून जिला ही ऐसा है जहां एक भी केंद्र इस श्रेणी में नहीं आता है।

इसके अलावा उत्तराखंड में विषम भौगोलिक परिस्थिति के कारण ज्यादातर पोलिंग बूथ सड़क से दूर हैं। राज्य में 262 मतदान केंद्र सड़क मार्ग से पांच किमी से अधिक की पैदल दूरी पर स्थित हैं, इसमें 33 बूथ तो दस 2241 पोलिंग पार्टियों इस किमी से अधिक की पैदल दूरी पर स्थित हैं।

इसमें चमोली की बद्रीनाथ विधानसभा के डुमक केंद्र तक पहुंचने के लिए मतदान टीमों को 20 किमी पैदल चलना है। मतदान से एक दिन पहले हरिद्वार और यूएसनगर को छोड़कर अन्य सभी जिलों में कुछ ना कुछ टीमें अपनी मंजिल की ओर रवाना हो चुकी हैं।

घर से मतदान वाले 93 प्रतिशत ने दिया वोट
घर से मतदान वाली श्रेणी में उत्तराखंड में 93 प्रतिशत मतदान सम्पन्न हो चुका है। मतदान की तिथि से पूर्व ही निर्वाचन टीमों ने घर घर पहुंचकर इस श्रेणी में मतदान सम्पन्न करवाया। निर्वाचन आयोग ने कुल 17068 दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ मतदाताओं को घर पर ही मतदान के लिए पोस्टल बैलट जारी किए थे।

इस श्रेणी में 15940 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। बर्फबारी और बारिश जैसी परिस्थितियों में भी 2241 पोलिंग पार्टियों ने कई जगह 10 से 15 किमी की पैदल दूरी तय कर मतदान समपन्न करवाया।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com