भारत में मेहमाननवाजी हो या घर में सबके साथ बात करने का समय चाय के बिना मानो ये सब अधूरा रहता है .चाय की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अलग-अलग देशो तक है. भारत में चाय को आप राष्ट्रीय पेय के रूप में जानते होंगे पर क्या आप जानते है कि चाय की शुरुआत कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है . आइये जानते है चाय से जुड़े इतिहास के बारे में. माना जाता है कि भारत में सर्वप्रथम चाय का बहुतायत प्रचलन ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिशों द्वारा असम के चाय के बागानों को देखने के बाद ही हुआ था.विश्व प्रसिद्धि की बात मानी जाये तो कहा जाता है कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग प्याले में रखे गर्म पानी में कुछ सूखी पत्तियाँ आकर गिरीं जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया, बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र. अब हम बात करते है चाय के स्वाद को आपके स्वाद से पूरी तरह मिलाने की तरकीब के बारे में . चाय के स्वाद को बढ़ाने के लिए चाय पत्ती को हमेशा उबलते पानी में डालें, इससे उसका रंग और फ्लेवर पूरी तरह से आ जायेगा.अगर आप लाइट चाय का स्वाद पसंद करते हैं तो पत्तीदार चाय का प्रयोग करें.बहुत ज्यादा उबालने से चाय का स्वाद कड़वा हो जाता है, अत: चाय बनाते वक्त समय का ध्यान रखें.

एक नज़र चाय से जुड़े इतिहास और बेहतर स्वाद पर

भारत में मेहमाननवाजी हो या घर में सबके साथ बात करने का समय चाय के बिना मानो ये सब अधूरा रहता है .चाय की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अलग-अलग देशो तक है. भारत में चाय को आप राष्ट्रीय पेय के रूप में जानते होंगे पर क्या आप जानते है कि चाय की शुरुआत कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है . आइये जानते है चाय से जुड़े इतिहास के बारे में.भारत में मेहमाननवाजी हो या घर में सबके साथ बात करने का समय चाय के बिना मानो ये सब अधूरा रहता है .चाय की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अलग-अलग देशो तक है. भारत में चाय को आप राष्ट्रीय पेय के रूप में जानते होंगे पर क्या आप जानते है कि चाय की शुरुआत कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है . आइये जानते है चाय से जुड़े इतिहास के बारे में.  माना जाता है कि भारत में सर्वप्रथम चाय का बहुतायत प्रचलन ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिशों द्वारा असम के चाय के बागानों को देखने के बाद ही हुआ था.विश्व प्रसिद्धि की बात मानी जाये तो  कहा जाता है कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग प्याले में रखे गर्म पानी में कुछ सूखी पत्तियाँ आकर गिरीं जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया, बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र.  अब हम बात करते है चाय के स्वाद को आपके स्वाद से पूरी तरह मिलाने की तरकीब के बारे में . चाय के स्वाद को बढ़ाने के लिए चाय पत्ती को हमेशा उबलते पानी में डालें, इससे उसका रंग और फ्लेवर पूरी तरह से आ जायेगा.अगर आप लाइट चाय का स्वाद पसंद करते हैं तो पत्तीदार चाय का प्रयोग करें.बहुत ज्यादा उबालने से चाय का स्वाद कड़वा हो जाता है, अत: चाय बनाते वक्त समय का ध्यान रखें.

माना जाता है कि भारत में सर्वप्रथम चाय का बहुतायत प्रचलन ब्रिटिश शासनकाल में ब्रिटिशों द्वारा असम के चाय के बागानों को देखने के बाद ही हुआ था.विश्व प्रसिद्धि की बात मानी जाये तो  कहा जाता है कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग प्याले में रखे गर्म पानी में कुछ सूखी पत्तियाँ आकर गिरीं जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया, बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र.

अब हम बात करते है चाय के स्वाद को आपके स्वाद से पूरी तरह मिलाने की तरकीब के बारे में . चाय के स्वाद को बढ़ाने के लिए चाय पत्ती को हमेशा उबलते पानी में डालें, इससे उसका रंग और फ्लेवर पूरी तरह से आ जायेगा.अगर आप लाइट चाय का स्वाद पसंद करते हैं तो पत्तीदार चाय का प्रयोग करें.बहुत ज्यादा उबालने से चाय का स्वाद कड़वा हो जाता है, अत: चाय बनाते वक्त समय का ध्यान रखें.

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