यह भी पढ़े: अभी-अभी: योगी के राज में महिला दारोगा के साथ हुआ ऐसा गंदा काम, सुनने वालों के उड़ गए होश… रेलवे ने यह रकम रिजर्वेशन कैंसिलेशन, विंडो वेटिंग टिकट, आंशिक कंफर्म ई-टिकट के रद न कराए जाने से कमाई है। रेलवे ने तीन वर्षों में सबसे अधिक कमाई विंडो वेटिंग टिकट के रद न हो पाने से की है।
इससे रेलवे को 4404 करोड़ रुपये की कमाई हुई। जबकि आंशिक कंफर्म ई-टिकट रद न हो पाने के चलते रेलवे ने 162 करोड़ एक लाख 95 हजार रुपये कमाए। यही नहीं टिकट रद कराए जाने पर भी रेलवे को 3439 करोड़ 29 लाख 56 हजार रुपये मिले।
उक्त आरटीआई ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स लिबरटीज एंड सोशल जस्टिस के सदस्य सुजीत स्वामी की ओर से डाली गई थी। कोटा, राजस्थान के सुजीत आईआईटी मंडी में नॉन टीचिंग स्टाफ के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सुजीत स्वामी ने पीएमओ को पत्र लिख कर विंडो टिकट फार्म में अकाउंट नंबर लिंक करने का सुझाव दिया था। सुझाव में कहा गया था कि जिस तरह ऑनलाइन वेटिंग टिकट के अपने आप रद होने की स्थिति में पैसा आवेदक के अकाउंट में आ जाता है, उसी तरह विंडो वेटिंग टिकट भी अपने आप रद हो जाया करे और पैसा आवेदक के खाते में आ जाए तो परेशानी हल हो जाएगी।
सुझाव पर पीएमओ ने कहा कि आपका सुझाव अच्छा है, लेकिन विंडो वेटिंग टिकट में रकम नकद ली जाती है। इस रकम को खाते में ट्रांसफर करने में गलती की गुंजाइश है।
बिना सेवाएं दिए रेलवे को पैसा लेने का अधिकार नहीं
सुजीत ने विंडो टिकट फार्म में अकाउंट नंबर लिंक के लिए फार्म की रि-डिजाइनिंग पीएमओ भेजी थी। उन्होंने सवाल किया कि पीएमओ ने जब यह मान लिया है कि नोटबंदी के दौरान उनके डिजाइन फार्म से विंडो टिकट रद कराए जाने के मामलों में आवेदकों के खातों में पैसा डाला गया तो इस व्यवस्था को लागू करने में क्या हर्ज है। उन्होंने कहा कि बिना सेवाएं दिए रेलवे को आम लोगों का पैसा अपने पास रखने का अधिकार नहीं है। मैं जल्द ही रेलवे की इस व्यवस्था को बदलने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करूंगा।
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