ऐसे पाएं अपनी सबसे बुरी यादों से छुटकारा

हॉलिवुड की सायेंस फिक्शन फिल्म ‘इटरनल सनशाइं ऑफ द स्पॉटलेस माइंड’ में दिखाया गया है कि किस तरह दो लोगों के दिमाग से उनकी बुरी और तकलीफदेह यादों को क्लिनिकली मिटा दिया गया।

जिसके बाद दोनों ने नए सिरे से अपने रिश्ते की शुरुआत की। फिलहाल यह स्थिति भले ही फिक्शन लग रही हो लेकिन जल्द ही यह हकीकत में बदल सकती है। वैज्ञानिकों ने प्रूफ ऑफ प्रिसिंपल के जरिए यह साबित किया है कि मस्तिष्क से बुरी और तकलीफ देने वाली यादों को मिटाया जा सकता है।

चूहों पर की गई रिसर्च से यह बात साबित हुई है कि इलेक्ट्रिक शॉक के जरिए उत्पन्न की गई एक आवाज से पैदा हुई डरावनी याद को मिटाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसानों पर इस रिसर्च को करने में कई तरह की नैतिक समस्याएं हैं जिस वजह से फिलहाल इंसानों पर यह रिसर्च करने का रास्ता बंद है। लेकिन वैज्ञानिकों की खोज में यह बात साबित हुई है कि निकट भविष्य में यह संभव हो पाएगा। इससे ड्रग अडिक्शन या किसी तरह के ट्रॉमा से तनाव में रहने वाले लोगों के इलाज में मदद मिल सकेगी।
अमेरिका के बॉस्टन में अमेरिकन असोसिएशन फॉर द अडवांसमेंट ऑफ सायेंस (AAAS) की सालाना बैठक में बोलते हुए प्रफेसर शीना जोसलीन ने कहा, ‘हमें विशिष्ट ब्रेन सेल की खोज में सफलता मिली है जहां एक खास मेमरी बंद रहती है। इसलिए अब हम टार्गेट कर सकते हैं कि ब्रेन में कोई मेमरी कहां चली गई। उसके बाद इन सेल्स की ऐक्टिविटी को कम किया जा सकता है। और यह ठीक वैसा ही है जैसा हमने किसी मेमरी को डिलीट कर दिया हो।’ यह करने के बाद इलेक्ट्रिक शॉक से उत्पन्न आवाज का उन चूहों पर कोई असर नहीं पड़ा और वे बेफ्रिक थे।
वहीं दूसरी तरफ सेल्स की ऐक्टिविटी बढ़ा देने के बाद वह शॉक की मेमरी दोबारा बहाल हो गई जिससे चूहे असहज महसूस करने लगे। हालांकि उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। प्रफेसर जोसलीन कहती हैं, ‘हम मेमरी को ऑन-ऑफ कर सकते हैं। इससे हमें सचमुच प्रिंसिपल का प्रूफ मिलता है। अगर यादाश्त से संबंधित कोई समस्या है तो हमें पूरे शरीर या पूरे मस्तिष्क को टार्गेट करने की जरूरत नहीं है।’ कनाडा के टॉरंटो यूनिवर्सिटी की जोसलीन कहती हैं कि यह संभव है कि भविष्य में वैज्ञानिक ऐसे हीट सीकिंग मिसाइल या हीट सीकिंग ड्रग बना सकेंगे जो सिर्फ उन सेल्स पर काम करेंगे जो इस मेमरी के लिए जरूरी है।
मिशिगन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर मेमरी एंड ब्रेन के डायरेक्टर हॉवर्ड इशेनबॉम जो इस सालाना बैठक में शामिल थे का मानना है कि इस तरह की मेमरी में बेहद सीमित ब्रेन सेल्स शामिल होते हैं। ऐसे में किसी एक सेल को नष्ट कर देने से दूसरे सेल्स पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, अगर वह मेमरी या बुरी याद बेहद कठोर है और आपकी जिंदगी को तबाह कर रही है तो यह समझौता बुरा नहीं है।
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