ऑस्ट्रेलिया ने एक बार इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही वह दुनिया के उन तमाम देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने प्लास्टिक के कचरे को रोकने में प्रतिबद्धता जाहिर की है। बड़े खुदरा विक्रेताओं ने लोगों को घर से बैग लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बार-बार इस्तेमाल में लाई जाने वाली प्लास्टिक पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और नीदरलैंड समेत कई देशों ने एक बार यूज में आने वाले प्लास्टिक बैग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया है। केन्या में इस बारे में शायद सबसे कड़ा कदम उठाया है। वहां प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को चार साल की जेल या 39,000 डॉलर तक जुर्माना लगाया जाता है। कई देशों ने प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई में अन्य उत्पादों को भी टार्गेट किया है। एक अनुमान के अनुसार, 80 लाख टन प्लास्टिक हर साल हमारे महासागरों और जलमार्गों में डाला जाता है। अगर इस दर पर अगर प्लास्टिक का कचरा निकलता रहा, तो साल 2050 तक महासागरों में मछली की तुलना में प्लास्टिक अधिक होगी। माइक्रोबीड्स यह छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो वॉडी वॉश, टूथपेस्ट और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में पाए जाते हैं। वे बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं और समुद्री वातावरण को दूषित करने के बाद उन्हें हटाने के लिए लगभग असंभव होता है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने साल 2016 में माइक्रोबीड्स को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समर्थन किया है। हालांकि, वहां इस बारे में अभी कोई कानून या आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है और कुछ निर्माता उनका उपयोग जारी रखते हैं। पेरिस की जेल से हेलिकॉप्टर से फरार हुआ मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर पिछले कुछ सालों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, न्यूजीलैंड और अन्य सहित अन्य देशों ने माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध का प्रस्ताव या कार्यान्वयन किया है। वेल्स और कनाडा पिछले सप्ताह के अंत में सूची में शामिल हो गए और आयरलैंड ने साल 2018 के अंत तक माइक्रोबीड्स प्रतिबंध लगा सकता है। प्लास्टिक स्ट्रॉ प्लास्टिक के स्ट्रॉ पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। मरीन कंजर्वेशन सोसाइटी के मुताबिक, अकेले यूके में लगभग 8.5 अरब प्लास्टिक स्ट्रॉ का कचरा निकालता है। स्ट्रॉ अक्सर समुद्र में फेंक दी जाती है और अब समुद्र तटों पर पाए जाने वाले शीर्ष 10 अपशिष्ट वस्तुओं में से यह एक है। ताइवान, सिएटल और वैंकूवर सहित दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों और देशों ने प्लास्टिक स्ट्रॉ प्रतिबंध लागू किए हैं। भारत के 29 में से कम से कम 25 राज्यों में स्ट्रॉ की बिक्री को बैन किया गया है। पानी की आपूर्ति के लिए अंटार्कटिका से ग्लेशियर खींचकर लाने की तैयारी में यूएई अप्रैल में ब्रिटेन ने प्लास्टिक कचरे के खिलाफ एक अभियान का प्रस्ताव दिया था, जो प्लास्टिक, स्ट्रॉ और कॉटन स्वैब्स पर प्रतिबंध लगा सकता है। यूरोपीयन यूनियन ने हाल ही में प्लास्टिक बैन करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें स्ट्रॉ सहित 10 वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो यूरोपीयन यूनियन के पानी और समुद्र तटों में सभी कूड़े का 70 फीसद है। कॉफी पॉड्स और कप प्लास्टिक और एल्यूमीनियम के संयोजन से बने कॉफी पॉड्स को रीसायकल करना मुश्किल होता है। हैम्बर्ग ने 2016 में कॉफी पॉड्स पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला शहर था। कॉफी कंपनी नेस्प्रेसो के पास कई देशों में एक कॉफी पॉड रीसाइक्लिंग प्रोग्राम चलता है, जिससे ग्राहकों को कलेक्शन प्वाइंट पर खाली पॉड्स छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्कॉटलैंड ने इस साल की शुरुआत में सरकारी भवनों में एक बार ही उपयोग में लाए जाने वाले कॉफी कपों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वेल्स भी जल्द ही इस दिशा में कदम उठा सकता है। यदि आप अपना खुद का कप लाते हैं, तो स्टारबक्स और अन्य कॉफी की दुकानें छूट प्रदान करती हैं।

ऑस्ट्रेलिया ने लगाया प्लास्टिक बैग पर बैन, जानें दुनिया में क्या हो रहा है

ऑस्ट्रेलिया ने एक बार इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही वह दुनिया के उन तमाम देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने प्लास्टिक के कचरे को रोकने में प्रतिबद्धता जाहिर की है। बड़े खुदरा विक्रेताओं ने लोगों को घर से बैग लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बार-बार इस्तेमाल में लाई जाने वाली प्लास्टिक पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है।ऑस्ट्रेलिया ने एक बार इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही वह दुनिया के उन तमाम देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने प्लास्टिक के कचरे को रोकने में प्रतिबद्धता जाहिर की है। बड़े खुदरा विक्रेताओं ने लोगों को घर से बैग लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बार-बार इस्तेमाल में लाई जाने वाली प्लास्टिक पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है।  ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और नीदरलैंड समेत कई देशों ने एक बार यूज में आने वाले प्लास्टिक बैग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया है। केन्या में इस बारे में शायद सबसे कड़ा कदम उठाया है। वहां प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को चार साल की जेल या 39,000 डॉलर तक जुर्माना लगाया जाता है।  कई देशों ने प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई में अन्य उत्पादों को भी टार्गेट किया है। एक अनुमान के अनुसार, 80 लाख टन प्लास्टिक हर साल हमारे महासागरों और जलमार्गों में डाला जाता है। अगर इस दर पर अगर प्लास्टिक का कचरा निकलता रहा, तो साल 2050 तक महासागरों में मछली की तुलना में प्लास्टिक अधिक होगी।  माइक्रोबीड्स  यह छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो वॉडी वॉश, टूथपेस्ट और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में पाए जाते हैं। वे बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं और समुद्री वातावरण को दूषित करने के बाद उन्हें हटाने के लिए लगभग असंभव होता है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने साल 2016 में माइक्रोबीड्स को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समर्थन किया है। हालांकि, वहां इस बारे में अभी कोई कानून या आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है और कुछ निर्माता उनका उपयोग जारी रखते हैं।  पेरिस की जेल से हेलिकॉप्टर से फरार हुआ मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर  पिछले कुछ सालों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, न्यूजीलैंड और अन्य सहित अन्य देशों ने माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध का प्रस्ताव या कार्यान्वयन किया है। वेल्स और कनाडा पिछले सप्ताह के अंत में सूची में शामिल हो गए और आयरलैंड ने साल 2018 के अंत तक माइक्रोबीड्स प्रतिबंध लगा सकता है।  प्लास्टिक स्ट्रॉ  प्लास्टिक के स्ट्रॉ पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। मरीन कंजर्वेशन सोसाइटी के मुताबिक, अकेले यूके में लगभग 8.5 अरब प्लास्टिक स्ट्रॉ का कचरा निकालता है। स्ट्रॉ अक्सर समुद्र में फेंक दी जाती है और अब समुद्र तटों पर पाए जाने वाले शीर्ष 10 अपशिष्ट वस्तुओं में से यह एक है। ताइवान, सिएटल और वैंकूवर सहित दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों और देशों ने प्लास्टिक स्ट्रॉ प्रतिबंध लागू किए हैं। भारत के 29 में से कम से कम 25 राज्यों में स्ट्रॉ की बिक्री को बैन किया गया है।  पानी की आपूर्ति के लिए अंटार्कटिका से ग्लेशियर खींचकर लाने की तैयारी में यूएई  अप्रैल में ब्रिटेन ने प्लास्टिक कचरे के खिलाफ एक अभियान का प्रस्ताव दिया था, जो प्लास्टिक, स्ट्रॉ और कॉटन स्वैब्स पर प्रतिबंध लगा सकता है। यूरोपीयन यूनियन ने हाल ही में प्लास्टिक बैन करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें स्ट्रॉ सहित 10 वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो यूरोपीयन यूनियन के पानी और समुद्र तटों में सभी कूड़े का 70 फीसद है।  कॉफी पॉड्स और कप  प्लास्टिक और एल्यूमीनियम के संयोजन से बने कॉफी पॉड्स को रीसायकल करना मुश्किल होता है। हैम्बर्ग ने 2016 में कॉफी पॉड्स पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला शहर था। कॉफी कंपनी नेस्प्रेसो के पास कई देशों में एक कॉफी पॉड रीसाइक्लिंग प्रोग्राम चलता है, जिससे ग्राहकों को कलेक्शन प्वाइंट पर खाली पॉड्स छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।  स्कॉटलैंड ने इस साल की शुरुआत में सरकारी भवनों में एक बार ही उपयोग में लाए जाने वाले कॉफी कपों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वेल्स भी जल्द ही इस दिशा में कदम उठा सकता है। यदि आप अपना खुद का कप लाते हैं, तो स्टारबक्स और अन्य कॉफी की दुकानें छूट प्रदान करती हैं।

ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और नीदरलैंड समेत कई देशों ने एक बार यूज में आने वाले प्लास्टिक बैग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया है। केन्या में इस बारे में शायद सबसे कड़ा कदम उठाया है। वहां प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को चार साल की जेल या 39,000 डॉलर तक जुर्माना लगाया जाता है।

कई देशों ने प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई में अन्य उत्पादों को भी टार्गेट किया है। एक अनुमान के अनुसार, 80 लाख टन प्लास्टिक हर साल हमारे महासागरों और जलमार्गों में डाला जाता है। अगर इस दर पर अगर प्लास्टिक का कचरा निकलता रहा, तो साल 2050 तक महासागरों में मछली की तुलना में प्लास्टिक अधिक होगी।

माइक्रोबीड्स

यह छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो वॉडी वॉश, टूथपेस्ट और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में पाए जाते हैं। वे बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं और समुद्री वातावरण को दूषित करने के बाद उन्हें हटाने के लिए लगभग असंभव होता है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने साल 2016 में माइक्रोबीड्स को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समर्थन किया है। हालांकि, वहां इस बारे में अभी कोई कानून या आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है और कुछ निर्माता उनका उपयोग जारी रखते हैं।

पिछले कुछ सालों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, न्यूजीलैंड और अन्य सहित अन्य देशों ने माइक्रोबीड्स पर प्रतिबंध का प्रस्ताव या कार्यान्वयन किया है। वेल्स और कनाडा पिछले सप्ताह के अंत में सूची में शामिल हो गए और आयरलैंड ने साल 2018 के अंत तक माइक्रोबीड्स प्रतिबंध लगा सकता है।

प्लास्टिक स्ट्रॉ

प्लास्टिक के स्ट्रॉ पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। मरीन कंजर्वेशन सोसाइटी के मुताबिक, अकेले यूके में लगभग 8.5 अरब प्लास्टिक स्ट्रॉ का कचरा निकालता है। स्ट्रॉ अक्सर समुद्र में फेंक दी जाती है और अब समुद्र तटों पर पाए जाने वाले शीर्ष 10 अपशिष्ट वस्तुओं में से यह एक है। ताइवान, सिएटल और वैंकूवर सहित दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों और देशों ने प्लास्टिक स्ट्रॉ प्रतिबंध लागू किए हैं। भारत के 29 में से कम से कम 25 राज्यों में स्ट्रॉ की बिक्री को बैन किया गया है।

अप्रैल में ब्रिटेन ने प्लास्टिक कचरे के खिलाफ एक अभियान का प्रस्ताव दिया था, जो प्लास्टिक, स्ट्रॉ और कॉटन स्वैब्स पर प्रतिबंध लगा सकता है। यूरोपीयन यूनियन ने हाल ही में प्लास्टिक बैन करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें स्ट्रॉ सहित 10 वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो यूरोपीयन यूनियन के पानी और समुद्र तटों में सभी कूड़े का 70 फीसद है।

कॉफी पॉड्स और कप

प्लास्टिक और एल्यूमीनियम के संयोजन से बने कॉफी पॉड्स को रीसायकल करना मुश्किल होता है। हैम्बर्ग ने 2016 में कॉफी पॉड्स पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला शहर था। कॉफी कंपनी नेस्प्रेसो के पास कई देशों में एक कॉफी पॉड रीसाइक्लिंग प्रोग्राम चलता है, जिससे ग्राहकों को कलेक्शन प्वाइंट पर खाली पॉड्स छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

स्कॉटलैंड ने इस साल की शुरुआत में सरकारी भवनों में एक बार ही उपयोग में लाए जाने वाले कॉफी कपों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वेल्स भी जल्द ही इस दिशा में कदम उठा सकता है। यदि आप अपना खुद का कप लाते हैं, तो स्टारबक्स और अन्य कॉफी की दुकानें छूट प्रदान करती हैं।

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