किंगफिशर एयरलाइन की तरह बंद हो सकती जेट एयरवेज! जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

किंगफिशर एयरलाइन की तरह बंद हो सकती जेट एयरवेज! जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

 सच में जेट एयरवेज बंद हो जाएगी? कंपनी की वित्तीय हालत कैसी है? कंपनी के पास सिर्फ 60 दिनों का ही पैसा बचा है? हकीकत क्या है यह तो कंपनी मैनेजमेंट को ही पता है. लेकिन, बैंकों की मानें तो जेट एयरवेज की हालत ठीक नहीं है. कंपनी के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है. साथ ही उसके पास बैंकों का कर्ज चुकाने के पैसे भी नहीं हैं. कर्ज इतना बढ़ चुका है कि बैंक अब और कर्ज देने को तैयार नहीं हैं. सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने भी इस संबंध में बैंकों से डिटेल मांगी हैं. बैंकों को जेट एयरवेज का कर्ज एनपीए बनने का खतरा है और आशंका है कि जेट एयरवेज का हाल भी किंगफिशर एयरलाइन जैसा न हो जाए.किंगफिशर एयरलाइन की तरह बंद हो सकती जेट एयरवेज! जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

किंगफिशर से भी ज्यादा कर्ज
दरअसल, कर्ज में डूबी जेट एयरवेज की आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है. कंपनी के पास अपने कर्मचारी, पायलट को देने के भी पैसे नहीं है. टॉप मैनेजमेंट की सैलरी में कटौती की जा चुकी है. हालांकि, पायलट और नॉन-मैनेजमेंट स्टाफ की सैलरी में कटौती नहीं होगी. सोमवार को ही कंपनी यह बयान जारी किया है. कंपनी का यह भी कहना कि वह इस संकट से निकल जाएगी. लेकिन, दूसरी तरफ बैंकों की तैयारी कुछ और ही संकेत देती है. जेट एयरवेज पर बैंकों का भारी कर्ज है. यह कर्ज किंगफिशर एयरलाइन को दिए गए उस वक्त के कर्ज से भी कहीं ज्यादा है.

किंगफिशर की राह पर जेट एयरवेज
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आर्थिक संकट से उबरने के लिए जेट एयरवेज ने वर्किंग कैपिटल लोन के लिए आवदेन दिया था. लेकिन, बैंकों ने उसके सामने कड़ी शर्त रख दी. बैंकों का कहना है कि जेट एयरवेज पर पहले से ही 8,150 करोड़ रुपए का कर्ज है. बैंकों के कंसोर्शियम ने जेट एयरवेज से पहले के कर्ज को चुकाने को कहा है. इसके बाद ही वर्किंग कैपिटल लोन देने पर विचार किया जा सकता है. बैंकों के कंसोर्शियम में कुछ बैंक वो भी हैं, जिन्होंने विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन को भी लोन दिया था.

क्यों खराब हुई कंपनी की हालत
कंपनी के प्रबंधन ने कर्मचारियों से कहा कि हवाई ईंधन के दामों में बढ़ोतरी और इंडिगो द्वारा ज्यादा मार्केट शेयर हासिल करने से उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. 2016 और 2017 में जहां कंपनी ने मुनाफा दर्ज किया था वहीं, 2018 में उसे 767 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घाटा बढ़कर के एक हजार करोड़ रुपए के पार जा सकता है. कंपनी इसी हफ्ते में अपने तिमाही नतीजे जारी कर सकती है.

क्यों बंद हो सकती है जेट एयरवेज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के पास सिर्फ दो महीने का ही पैसा शेष है, जिसकी जानकारी खुद एयरलाइन ने अपने पायलट्स को दी है. कंपनी के पास बैंकों का कर्ज चुकाने का पैसा नहीं है. आगे भी वित्तीय बोझ बढ़ता जाएगा. सैलरी कटौती से सिर्फ 500 करोड़ रुपए की जुटाए जा सकते हैं. लेकिन, कंपनी को बैंकों का कर्ज और ऑपरेशंस के लिए हर महीने करीब 1500 करोड़ की जरूरत है. हालांकि, कंपनी मैनेजमेंट इस बात से इतेफाक नहीं रखता. कंपनी के मालिक विजय गोयल ने रिपोर्ट्स को बेबुनियाद बताया है. एक लिखित बयान जारी कर कहा है कि मीडिया में कंपनी की वित्तीय हालत की खबरें बेबुनियाद हैं. कंपनी के वित्तीय हालात ठीक हैं. हिस्सेदारी बेचने की भी कोई योजना नहीं है.

सैलरी कटौती से शुरू की हुई चर्चा
कंपनी की वित्तीय हालत को लेकर चर्चा तब शुरू हुई जब जेट एयरवेज ने कर्मचारियों की सैलरी में कटौती करने का फैसला लिया. कॉस्ट कटिंग के नाम पर दो महीने तक कटौती का फैसला लिया गया. कंपनी ने कर्मचारियों को जारी एक नोट में कहा कि वह कॉस्ट कटिंग करने के 60 दिनों बाद समीक्षा करेगी. साथ ही यह जानकारी भी दी जाएगी कि क्या कंपनी आगे भविष्य में चल पाएगी या फिर नहीं.

जेट एयरवेज के शेयर में 63% की गिरावट
कंपनी के मौजूदा वित्तीय संकट के कारण भविष्य में दिक्कतें बढ़ने की संभावना के कारण निवेशक जेट एयरवेज में बिकवाली कर रहे हैं. सोमवार को कंपनी के शेयर में मैनेजमेंट की कमेंट्री के बाद मामूली तेजी जरूर आई है. लेकिन, शुक्रवार को कंपनी का शेयर बीएसई में 7% की गिरावट के साथ 308.00 रुपए पर बंद हुआ था. अधिक कर्ज, सुस्त विकास, तीखी प्रतिस्पर्धा और ईंधन की बढ़ती कीमतों से कंपनी काफी दबाव में है. आपको बता दें, जेट एयरवेज के शेयर में साल 2018 में अब तक 63 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. अगर कंपनी अपने वित्तीय हालात को नहीं संभाल पाती तो आगे भी गिरावट जारी रहने की आशंका है

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