कैंपियरगंज क्षेत्र में रोहिन नदी पर बना मछलीगांव-अलगटपुर बांध शुक्रवार सुबह अलगटपुर के पास पानी के तेज बहाव से टूट गया। करीब एक दर्जन गांव बाढ़ के पानी से घिर गए। पुलिस और पीएसी जवानों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। 50 परिवारों ने बांध पर शरण ले रखी है। कई मकान ध्वस्त हो गए हैं।अभी-अभी: योगी का तंज गोरखपुर को राजनीति का पिकपिन स्पाट नहीं बनने दिया जायेगा!
सुबह बांध टूटने से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई। बाढ़ का पानी अलगटपुर खास, सोनाटीकर, गुलरिहा, गिद्धा, मोहनाग सहित अन्य गांवों में तेजी से फैलने लगा। बांध टूटने की जानकारी ग्राम प्रधान ने पुलिस समेत तहसील प्रशासन को दी। मौके पर पुलिस मछलीगांव में कैंप कर रहे पीएसी के जवानों के साथ पहुंची और बाढ़ में फंसे सौ से अधिक लोगों को बाहर निकाल सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
फोरलेन पर बहू-बेटी को लेकर कैसे गुजारें रात
मंझरिया बिसटौर के मोती लाल बाढ़ के पानी में घर के डूबने के बाद फोरलेन को अपना ठिकाना बना लिया है। फोरलेन पर जिस जगह उन्होंने तंबु लगा रखा है, वहां से घर नजर आता है। नाव से जाकर रोज घर को देख लेते हैं। तसल्ली रहती है। दूर चले जाएंगे तो घर की निगरानी कौन करेगा। बहू और बेटी घर में ही हैं। उन्हें लेकर कैसे फोरलेन पर रहें। तख्त पर तख्त रखकर ऊंचा कर दिया है। उसी पर वो लोग रह रहे हैं। यह नारकीय जीवन नहीं तो और क्या है।
गोरखपुर के चारों ओर राप्ती नदी के किनारे बनाए गए बंधे से सटे इलाके लहेसड़ी, डोहरियां, डांगीपार, नदुआ, मिर्जापुर, सनहा, सेंदुली बेंदुली, मंझरिया बिसटौर आदि की स्थिति कुछ ऐसी ही है। गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। इन गांवों के जो घर थोड़े नीचे हैं, उनमें 8 से 10 फीट पानी भरा है। लोगों ने बंधे पर या फिर फोरलेन को अपना ठिकाना बना लिया है। मंझरिया बिसटौर के मिसिर लाल अपने पूरे कुनबे के साथ फोरलेन के डिवाइडर पर तंबू लगाकर रह रहे हैं। उन्होंने बताया दो गाय, तीन भैंस के लिए चारे का इंतजाम तो है, लेकिन पशुओं को बाढ़ का पानी पिलाया जा रहा है। हालांकि खुद के पीने के पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। नाव से दूसरे गांव जाकर पानी लाना पड़ रहा है।
पिछली बाढ़ को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उस दौरान क्षेत्र के प्रधान रामभवन निषाद ने हैंडपंप लगवा दिया था। इससे काफी राहत मिली थी। दरअसल उस वक्त फोरलेन बनने की शुरुआत हुई थी। मिट्टी पाटकर सड़क ऊंची कर दी गई थी। शुक्रवार को भी रामभवन तहसीलदार को लेकर पहुंचे थे। तहसीलदार ने फोरलेन पर वक्त गुजार रहे लोगों से लहेसड़ी स्थित प्राथमिक विद्यालय में रहने का निवेदन किया, लेकिन फोरलेन को ठिकाना बनाए लोगों ने मजबूरी जताते हुए इंकार कर दिया। यहां हैं तो जाकर घर भी देख आते हैं।
बाढ़ देखकर पत्नी की तबीयत खराब हुआ
राप्ती नदी किनारे के डोहरिया गांव में 15 जनवरी से शुक्रवार तक करीब आठ फीट पानी बढ़ चुका है। हरेक घंटे जलस्तर बढ़ता जा रहा है। पानी का बढ़ता जलस्तर देख राजेश सिंह की पत्नी की तबीयत खराब हो गई। लिहाजा उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चे को अपने ससुराल देवरिया भेज दिया। इसी गांव की अतिराजी देवी दोपहर बदहवास सी हर घंटे-आधे घंटे पर अपने घर से निकल घर के पास बढ़ रहे पानी को देख रही थी। 19 साल पहले का मंजर याद करते हुए उन्होंने कहा कि उस रात आई बाढ़ ने पूरे घर को बर्बाद कर दिया था। कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें। परिवार के साथ अपने दुधारू पशुओं को लेकर कहां जाएं। इस बार भी वैसी ही स्थिति दिख रही है। सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है। आगे जो होगा, देखा जाएगा। फिलहाल, परिवार सहित पलायन की तैयारी में हैं।
परिवार को रिश्तेदार के पास भेज दिया
राजघाट बंधे के पास सुरेश ने पिछले साल ही घर बनवाया है। उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके घर की दहलीज तक पानी आया था और बारिश का मौसम बीत गया, लेकिन इस साल की बाढ़ ने पूरे घर को तबाह कर दिया। घर में करीब आठ फीट पानी भरा है। पूरे परिवार को राजघाट स्थित रिश्तेदार के घर भेज दिया है। मैं अकेले घर में हूं। छोड़कर जा भी नहीं सकता। सारा सामान घर में है। चोरी का डर है। लिहाजा सारी मुसीबतों को झेलकर घर की रखवाली कर रहा हूं।
घबड़ाई मां बार-बार फोन कर रही थीं
कुइयां बाजार के सोनेलाल शुक्रवार को बहरामपुर पहुंचेे। उनकी बहन का घर पानी से घिरा है। बहनोई दिल्ली में नौकरी करते हैं, लिहाजा मां की चिंता लगी हुई थी। सोनेलाल के वहां पहुंचने से लेकर लौटने तक मां लगातार फोन करती रहीं। बहन के साथ जब नाव से बाहर बंधे पर पहुंचे तभी उनकी मां को फिर फोन आ गया। उन्होंने जब मां से बताया कि दीदी को लेकर आ रहा हूं तब जाकर उन्हें राहत पहुंची।