कैंसर पीड़ितों के घर भी गूंजेंगी किलकारियां, पढ़ें नई तकनीक के बारे में...

कैंसर पीड़ितों के घर भी गूंजेंगी किलकारियां, पढ़ें नई तकनीक के बारे में…

कैंसर पीड़ित दंपतियों को संतान के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। अब फर्टिलिटी प्रिजेर्वेशन विधि से उनके सूने आंगन में भी किलकारियां गूंज सकेंगी। यह जानकारी स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ व इंफर्टिलिटी-आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. गीता खन्ना ने रविवार को इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी व स्पेशल इंट्रेस्ट ग्रुप की ओर से आयोजित सेमिनार में दी।कैंसर पीड़ितों के घर भी गूंजेंगी किलकारियां, पढ़ें नई तकनीक के बारे में...

उन्होंने बताया कि देश में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। पुराने मामलों के अलावा हर साल हजारों की संख्या में नए केस सामने आ रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या उन कैंसर मरीजों की है जो 40 से भी कम उम्र के हैं। युवतियों में जहां 40 की उम्र के बाद कैंसर की समस्या देखने को मिलती थी वहीं अब 13 से 15 साल की किशोरियां भी ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं।  

कैंसर के इलाज में मरीज हो रहे बांझ  
डॉक्टर ने बताया कैंसर का पूरा इलाज करने में मरीज हमेशा के लिए बांझ हो जाते हैं। आजकल कम उम्र में ही ल्युकीमिया (रक्त), हॉजकिंस, टेस्टिस, ब्रेस्ट व ब्रेन कैंसर आम बात है। ऐसे में दवाओं की डोज, रेडिएशन व कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट देने से मरीजों की फर्टिलिटी क्षमता खत्म हो जाती है। इलाज से उनमें इंफर्टिलिटी की समस्या होने के कारण उनकी खुद की संतान नहीं हो पाती।

‘फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन’ से बढ़ी आशा

डॉक्टर ने बताया कि कैंसर पीड़ित महिला में ‘फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन’ तकनीक से उसकी ओवरी के हिस्से को निकाल कर प्रिजर्व कर लिया जाता है। इलाज की अवधि (3 से 5 तक) तक ओवरी फ्रीज रहती है। इससे कैंसर के इलाज में चलाई जा रही दवाओं व थेरेपी से ओवरी सुरक्षित रहती है। जब महिला का इलाज पूरा हो जाता है तो उसमें ओवरी डाल दी जाती है, जिससे वह दोबारा मां बन सकती हैं। इसी तरह कैंसर पीड़ित पुरुष के टेस्टिस के टिशू को संरक्षित कर लिया जाता है या उसके शुक्राणु को प्रिजर्व कर लिया जाता है। इलाज के बाद दंपति अपनी खुद की संतान पैदा कर सकते हैं।

विदेश में अपनाई जाती है यह विधि
डॉक्टर ने बताया कि ‘फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन’ विधि से इलाज की व्यवस्था पहले विदेशों में ही थी, लेकिन अब दिल्ली के बाद लखनऊ में भी इसकी शुरुआत हो गई है। अगर किशोरी की उम्र 15 से अधिक है तो उसके अंडाणु व पुरुष के स्पर्म को प्रिजर्व कर लिया जाता है। अगर शादी हो चुकी है तो भी महिला के अंडाणु व पुरुष के शुक्राणु को आईवीएफ तकनीक से एम्ब्रयो तैयार कर प्रिजर्व कर लिया जाता है। ट्रीटमेंट के बाद एम्ब्रयो दोबारा महिला के शरीर में डाल दिया जाता है। उसके बाद वह सामान्य महिलाओं की तरह ही मां बन सकती है। 

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