कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में शिक्षकों की कमी को देखते हुए यूजीसी ने फैकल्टी रिक्रूटमेंट प्रोसेस में हस्तक्षेप करने का किया फैसला

देशभर के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में शिक्षकों की कमी को देखते हुए यूजीसी ने फैकल्टी रिक्रूटमेंट प्रोसेस में दखल देने का फैसला किया है। दरअसल शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई पर तो विपरीत प्रभाव पड़ता है, साथ ही टीचिंग प्रोसेस भी प्रभावित होता, इसी को देखते हुए यूजीसी ने बिना देर किए प्रोफेसरों की भर्ती में तेजी लाने के निर्देश जारी किए हैं। आपको बता दें कि देश में हाल ही में नई शिक्षा नीति (NEP) लागू  हो चकी है, इसके बावजूद टीचर्स की कमी की समस्या लगातार बनी हुई है और इसका कोई समाधान भी अभी तक नहीं निकाला गया है। दो साल पहले भी यूजीसी ने फैकल्टी रिक्रूटमेंट प्रक्रिया को अर्जेंट आधार पर भरने के लिए आदेश जारी किए थे। हालांकि प्रशासन द्वारा अभी तक कोई भी ठोस एक्शन इस बारे में नहीं लिया गया है। अभी की बात करें तो महाराष्ट्र में 12000 शिक्षकों की कमी है, जबकि शिक्षा विभाग ने सिर्फ 2088 पदों को भरने के लिए मंजूरी दी है, जो एक अलॉर्मिंग कंडीशन है। यूजीसी सेक्रेटरी डॉक्टर मनीष जोशी ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सभी राज्यपालों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को पत्र लिखकर फैकल्टी रिक्रूटमेंट प्रोसेस को तत्काल पूरा करने पर जोर दिया है। डॉ. जोशी ने पत्र में कहा कि यूजीसी ने पहले ही प्रोफेसर पद के लिए जरूरी योग्यताओं के संबंध में गाइडलाइंस जारी कर दी है। इन प्वाइंट्स पर आगे बढ़ाते हुए, कुशल एम मुडे, ऑल इंडिया नेट और सेट शिक्षक संगठन (अल-नास्टो) ने कहा कि 3 नवंबर, 2018 के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के अनुसार सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज में  8959 पोस्ट खाली थी, उइनमें से सिर्फ 40% यानी 3850 पद महाराष्ट्र सरकार द्वारा भरे जाने थे। फरवरी 2019 में, केवल 1492 पद भरे गए और बाकी 2088 पद भरे गए खाली रह गए। राज्य सरकार ने राज्य में एनईपी लागू करने का काम शुरू कर दिया है। नेशनल फोरम फॉर क्वालिटी के अध्यक्ष रमेश जेड ने कहा कि अब हम महाराष्ट्र सरकार से यूजीसी नोटिफिकेशन के अनुसार सभी 12,000 खाली टीचर्स के पदों को भरने का अनुरोध कर रहे हैं। कई नेट सेट योग्य उम्मीदवार पिछले पांच सालों से घंटे के आधार पर काम कर रहे हैं।
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