कोरोना संकट से निपटने में नाकाम साबित हुए इमरान, जनता के साथ-साथ सेना भी हुई खफा

कोरोना संकट (Corona Virus) से निपटने में नाकाम साबित हो रही इमरान खा (Imran Khan) न सरकार से जनता के साथ-साथ सेना भी खफा हो गई है. वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताया है. पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक और पत्रकार वाजिद शमशुल हसन (Wajid Shamsul Hasan) ने कहा कि COVID-19 पर इमरान सरकार की विफलता जनरलों के नियंत्रण अपने हाथों में लेने के फैसले की सही ठहरती है. हालांकि, मार्शल लॉ को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.

सिविलियन कैडर में सैन्य अधिकारियों की नियुक्ति के बाद से करीब दर्जन भर से ज्यादा अहम् पदों पर पूर्व और वर्तमान अधिकारी बैठे हैं. इन अधिकारियों के हाथों में पावर रेग्युलेटर और कोरोना के खिलाफ सरकारी अभियान का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय संस्थान स्वास्थ्य के संचालन की ज़िम्मेदारी है. इनमें से तीन नियुक्तियां पिछले दो महीनों में हुई हैं.

हसन का मानना है कि इमरान खान महामारी COVID -19 का मुकाबला करने के लिए अपने सबसे अच्छे विकल्पों तय करने में विफल रहे हैं. पाकिस्तान सरकार अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए लॉकडाउन जैसे कड़े उपायों को कायम रखने से कतराती रही है. यही वजह है कि देश में कोरोना नियंत्रण से बाहर हो गया है. यहां अब तक 3 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं जबकि संक्रमण के 130,000 से अधिक मामले सामने आये हैं.

जानकारी के अनुसार, सेना इमरान खान के लॉकडाउन का विरोध करने को लेकर भी नाराज है. साथ ही उसने रिलीफ फंड बांटने के सरकार के तरीकों पर भी एतराज जताया है. सेना प्रमुख कोरोना महामारी को लेकर सरकार द्वारा उठाये गए कदमों से खासे गुस्से में हैं. वहीं, पाकिस्तान के हाल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चिंता जताई है. WHO की तरफ से कहा गया है कि पाकिस्तान को आने वाले दिनों में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. WHO ने अपने नए निर्देशों में पाकिस्तान को लॉकडाउन घोषित करने को कहा है, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके.  मार्च में जब पाकिस्तान में कोरोना प्रकोप के शुरुआत हुई, तो सिंध सरकार और अन्य प्रांतों ने लॉकडाउन जैसे उपायों पर जोर दिया, लेकिन प्रधानमंत्री इसी कोशिश में लगे रहे कि बाजार पहले की तरह खोल दिए जाएं. उनका तर्क था कि पाकिस्तान लॉकडाउन के चलते उत्पन्न होने वाली बेरोज़गारी का सामना करने के स्थिति में नहीं है.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, प्रतिदिन 50,000 से ज्यादा टेस्टिंग कराना बेहद जरूरी है, जबकि देश में अभी तक हर दिन करीब 24,000 लोगों की ही टेस्टिंग हो रही है. WHO ने पत्र पंजाब और सिंध के स्वास्थ्य अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि लॉकडाउन हटाने के लिए कुछ शर्तें पूरी की जानी चाहिए, जैसे कि बीमारी के फैलाव पर नियंत्रण हो. स्वास्थ्य सेवा केस को पहचानने, जांच करने, आइसोलेट करने और कॉन्टैक्ट ट्रेस करने में सक्षम हो.

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