सीबीआई ने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले को हाई प्रोफाइल बताया लेकिन यह दलील विशेष सीबीआई अदालत को प्रभावित नहीं कर पाई। अदालत ने पूर्व दूर संचार मंत्री ए. राजा, सांसद कनिमोझी व अन्य आरोपियों को बरी करते हुये कहा किसी केस की प्रकृति के आधार पर बिना साक्ष्य किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
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पटियाला हाउस स्थित विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी ने 1552 के पन्नों के फैसले में कहा केस के हाई प्रोफाइल होने व मीडिया में मचे शोर का हवाला देकर स्पष्ट व ठोस साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी से सीबीआई नहीं बच सकती। किसी मामले में बड़ा घोटाला होने की बात केस की अंतिम जिरह में काम नहीं आती, उस समय केवल कानूनी रूप से साक्ष्य की जरूरत होती है।
कोर्ट ने कहा सीबीआई ने इस मामले को हाई पॉलीटिकल करप्शन का बताया था लेकिन इस मामले में कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया। किसी केस के हाई प्रोफाइल होने को किसी को दोषी ठहराने का आधार नहीं बनाया जा सकता। इसे लोगों को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराने के लिये तरकीब के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में प्रत्यक्ष, मौखिक व कागजी दस्तावेज का अभाव हो सकता है लेकिन बिना कानूनी रूप से स्वीकृत साक्ष्य के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
धीरज बेनीवाल- सीबाई ने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन में 30 हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला होने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस स्पेक्ट्रम आवंटन को दो फरवरी 2012 को रद कर दिया था। अदालत ने सात साल तक चली सुनवाई के बाद 21 दिसंबर 2017 को मामले में सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था।