क्या आप जानते हो, की डिप्रेशन से सोचने-समझने की क्षमता पर कितना बुरा असर पड़ता है..

क्या आप जानते हो, की डिप्रेशन से सोचने-समझने की क्षमता पर कितना बुरा असर पड़ता है..

बिज़ी लाइफस्टाइल के चलते कोई भी आसानी से डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. लोगों की अनियमित और व्यस्त जीवनशैली डिप्रेशन की समस्या को और बढ़ा देती है. डिप्रेशन से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के दिमाग की सरंचना में लगातार बदलाव होते रहने की संभावना रहती है.क्या आप जानते हो, की डिप्रेशन से सोचने-समझने की क्षमता पर कितना बुरा असर पड़ता है..इस तरह की बीमारियों में दवा की तरह काम करता है गाय का घी…

इंसान के दिमाग में कम्युनिकेशन और सोचने की क्षमता से जुड़े भागों में इस तरह के बदलाव देखे जाते है. इस रिसर्च से यह बात सामने आई है कि जब कोई व्यक्ति डिप्रेशन में आता है तो उसके दिमाग के उस हिस्से में बदलाव हो जाता है जिससे दिमाग की कोशिकाओं को इलेक्ट्रिक सिग्नल के माध्यम से एक दूसरे से जोड़ने में सक्षम बनाते है. यदि किसी भी तरह की समस्या होती है तो इसका असर उस व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता पर और भावनाओं पर भी पड़ सकता है.

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जो लोग डिप्रेशन में होते है उनके दिमाग के व्हाइट मैटर की सघनता में भी कमी आ जाती है. ऐसा किसी नॉर्मल व्यक्ति के दिमाग में नहीं होता है. इस स्टडी से यह बात सामने आई है कि जब कोई व्यक्ति डिप्रेशन की चपेट में आता है तब उसके दिमाग की वायरिंग होती है. डिप्रेशन एक प्रकार की मानसिक विकलांगता है, इसका इलाज जरूरी है.

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