‘क्या नाबालिग पत्नी से यौन संबंध पर पॉक्सो लग सकता है’

15 से 18 वर्ष के बीच की आयु (नाबालिग) की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने को प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पोक्सो) के तहत यौन अपराध माना जाना चाहिए या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल को सरकार के पास भेजा है। वास्तव में भारतीय दंड संहिता के तहत नाबालिग पत्नी से यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है। वहीं, पोक्सो की धारा-5(एन) के तहत इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने याचिका दायर कर इन दोनों विरोधाभासी कानून से चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ को अवगत कराया है। एनजीओ का कहना था कि आईपीसी और पोक्सो में कानूनी विरोधाभास है और ऐसे में पोक्सो कानून को प्रभावी होना चाहिए, क्योंकि वह विशेष अधिनियम है।

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याचिकाकर्ता की दलीलों से सहमत पीठ ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को इस मसले पर विचार कर चार महीने में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। पीठ ने याचिकाकर्ता संगठन से कहा है कि अगर आप सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं होंगे तो आप न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील भूवन रिभू ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा- 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया है। इसके तहत नाबालिग पत्नी के साथ बनाए गया यौन संबंध बलात्कार नहीं हैं। वहीं, पोक्सो कानून कहता है कि किसी भी नाबालिग बच्चे के साथ उसकी सहमति या सहमति के बगैर यौन संबंध बनाया जाता है तो वह अपराध है।

 
 
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