गुजरात चुनाव तारीखों की घोषणा में देरी के लिए चुनाव आयोग ने राज्य सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य चलाए जाने की दलील दी थी. हालांकि विपक्ष की ओर से दबाव बनाए जाने के एक हफ्ते बाद तारीखों का ऐलान कर दिया गया, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि बनासकांठा जिले में बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर राज्य सरकार की ओर से एक दाना भी नहीं मिला है.
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बनासकांठा जिले में जेतड़ गांव के किसान देवीजी भाई भाटर की पूरी फसल बाढ़ में डूब गई. 8 एकड़ की खेती वाली जमीन बाढ़ के पानी में डूबी रही और अब देवी के पास खेती लायक जमीन नहीं है. गुजरात सरकार ने इन बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान किया था, लेकिन जेतड़ गांव के देवीजी भाई और 80 अन्य किसानों को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है.
बाढ़ पीड़ितों ने मदद के लिए मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है, लेकिन कलेक्टर की ओर से उन्हें केवल आश्वासन मिल रहा है. सरकार के आश्वासनों से किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और विधानसभा चुनाव के बॉयकॉट की सोच रहे हैं.
कई महीनों से मुआवजे के इंतजार में किसान
देवीजी भाई ने कहा, ‘हम पिछले कई महीनों से मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं. मैंने निजी रूप से कई बार सरकार को पत्र लिखा है. 70 से 80 किसानों को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है. सरकार ने सर्वे तो करा लिया है. लेकिन अगर उन्होंने हमें मदद नहीं दी, तो हम इस बार चुनावों का बहिष्कार करने की सोच रहे हैं.’
पेशे से किसान भरत राजपूत ने कहा कि जेतड़ गांव की ओर से कई बार गुजारिश किए जाने के बावजूद सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया और न ही खेती के लिए कोई वैकल्पिक जमीन दी. ऐसे में युवा किसान भरत ने ड्रिप इरिगेशन प्रणाली के लिए कुछ फंड इकट्ठा किया और अपने खेत में इसकी दोबारा शुरुआत की. ताकि यह पता चल सके कि बाढ़ प्रभावित इन खेतों में कुछ पैदा होता है कि नहीं.
भरत कहते हैं कि ‘वे लोग आए और हमारी जमीन और खेत का सर्वे करके गए, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. आखिरी उम्मीद के तौर पर हमने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को दोबारा शुरू किया है. उम्मीद है कि यह काम करेगा और इस जमीन को थोड़ी उपजाऊ बनाएगा, ताकि खेती की जा सके.’
जेतड़ ही नहीं खरिया गांव को भी नहीं मिला मुआवजा
ऐसा नहीं है कि सिर्फ जेतड़ गांव को ही सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिला है. खरिया गांव के किसानों को भी सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिला है. इन लोगों ने राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और मंत्रियों को पत्र लिखकर मुआवजे और मदद की मांग की. लेकिन, सरकार के रटे-रटाए जवाब के अलावा बाढ़ पीड़ितों को कुछ नहीं मिला. यह वही गांव है जहां के 17 लोग बाढ़ की विभीषिका में जान गंवा बैठे.
‘खेत ही नहीं घर भी हो गए बर्बाद’
इस बार की बाढ़ में खेत और फसल के अलावा लोगों के घर भी बर्बाद हो गए. कुछ लोगों को सरकार की ओर से मदद मिली, लेकिन नागजी भाई जैसे भी किसान हैं, जिन्हें सरकार की ओर से एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली और अब झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.
अपने तीन भाइयों और परिवार के 14 सदस्यों के साथ नागजी भाई ईंट के मकान में रहते थे. गुजरात की बाढ़ ने न केवल उनका घर तबाह कर दिया बल्कि उसी जगह पर उन्हें झोपड़ी में रहने को मजबूर कर दिया है.
झोपड़ी में रहने को मजबूर परिवार
नागजी भाई के भतीजे श्रवण ने कहा, ‘हमारा घर बर्बाद हो गया, अब हमें झोपड़ी में रहना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार की ओर से हमें मदद मिलेगी, लेकिन अब तक हमारे पास कोई मदद नहीं पहुंची. हमें डर है कि अगर दोबारा बारिश हुई तो हमारी झोपड़ी भी बर्बाद हो जाएगी. उम्मीद है कि कोई हमारी याचना सुनेगा और मदद मिलेगी.’
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