जामनगर जिले की कालावाड विधानसभा क्षेत्र के गजडी गांव के लोगों में भारी गुस्सा है. गांव के लोगों का कहना है कि उनके यहां न तो सड़कें हैं, ना पीने का पानी है, ना ही चिकित्सालय है और ना ही शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था है. 60 सालों से वोट डालते आ रहे हैं, लेकिन कोई भी यहां नहीं आता. यहां पर आ कर उनकी खबर नहीं लेता है. सभी नेता खाली वादे करते हैं, लेकिन बाद में यहां उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है.
मोदी पर राहुल ने कसा तंज, कहा- विकास का मुद्दा छोड़ अब अपनी ही बात करते हैं PM
गांव में खेती करने वाली महिला मीणा बेन का कहना है कि हम कभी भी वोट नहीं डालेंगे, जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होता. यहां पीने के लिए पानी नहीं है. कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. सड़कें नहीं है, चिकित्सालय और शिक्षा के कोई प्रबंध नहीं है. खेती करने के लिए बिजली भी बहुत कम आती है, जिसकी वजह से बहुत परेशानियों का अनुभव करना पड़ता है.
लोगों ने बहिष्कार के दौरान नारे भी लगाए. लोगों का कहना है कि जब तक पानी नहीं तब तक वोट नहीं. गांव के सरपंच हरसुर कहना है कि नेता लोग गांव की तरफ देखते भी नहीं हैं. खाली बातें करते हैं. लोग परेशानियों में जी रहे हैं मगर नेता सिर्फ वादे करते हैं.
पहली बार के वोटर संदीप डांगर ने भी अपना वोट नहीं डाला है. गांव में जिस ढंग से अनदेखी की जा रही है, उससे संदीप के अंदर सिस्टम को लेकर बहुत गुस्सा है. हालांकि पहली बार उनको मतदान करना था. संदीप ने बताया कि वोट डालने को लेकर एक उत्साह था, लेकिन वह गांव वालों के बहिष्कार के फैसले के साथ हैं. उनके गांव के अंदर पानी, सड़कें और बिजली की समस्या है. उनका भी कहना है कि जब तक समाधान नहीं होता है, वह अपना वोट नहीं डालेंगे.
पोलिंग बूथ के अंदर मत पेटियां जस की तस पड़ी हैं. रिटर्निंग ऑफिसर का भी यही कहना कि हम सुबह से मतदाताओं का इंतजार कर रहे थे कि कोई तो वोट डालेगा. सुबह से कोई भी वोट डालने नहीं आया. मतदाताओं ने अफसरों के सामने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. लोगों को समझाने की कोशिश की कि वोट डालना चाहिए, लेकिन लोग समझने को तैयार नहीं हैं.