गुजरात चुनाव: इस सीट पर लोग चुनाव चिन्ह देखकर देते हैं वोट

अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद जिले की निकोल विधानसभा सीट पर अब तक दो बार चुनाव हुए हैं। दोनों बार हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जगदीश पंचाल ने जीत हासिल की है। जगदीश पंचाल भूपेंद्र पटेल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। 2008 में हुए नए सीमांकन के बाद निकोल विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। वर्ष 2012 और 2017 के चुनाव में दोनों ही बार भाजपा को जीत नसीब हुई, जबकि कांग्रेस को शिकस्त झेलनी पड़ी। निकोल विधानसभा सीट अहमदाबाद के नए विकसित हुए इलाकों में शामिल है। यहां बड़ी संख्या में सौराष्ट्र के पाटीदार बसे हुए हैं। 

सौराष्ट्र के पाटीदारों का झुकाव बीते कई दशकों से भाजपा के पक्ष में रहा है। 2012 और 2017 में भी निकोल के पाटीदारों ने भाजपा उम्मीदवारों को ही वोट दिया था। यहां से भाजपा MLA जगदीश पंचाल OBC समुदाय से आते हैं। निकोल में पंचाल समाज के वोटर बेहद कम तादाद में हैं, फिर भी जगदीश पंचाल को जीत दर्ज करने में कोई दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि यहां के लोग कमल का निशान देखकर ही वोट करते हैं।  जगदीश पंचाल पेशे से कारोबारी हैं और अहमदाबाद भाजपा इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जगदीश पंचाल भाजपा की टॉप लीडरशिप की गुड बुक में शामिल हैं। उनकी जीत के पीछे भाजपा का चुनाव चिन्ह और संगठन को ही सबसे बड़ी वजह माना जाता है।

वर्ष 2017 में निकोल विधानसभा सीट पर जगदीश पंचाल को जीत हासिल कर पाना बेहद मुश्किल नज़र आ रहा था, क्योंकि पाटीदार बहुल वाले इलाके में भाजपा ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था। वह भी तब जब पाटीदार आंदोलन का आक्रोश चरमसीमा पर था। अहमदाबाद में पाटीदार आंदोलन का सेंटर भी निकोल को ही माना जाता था।  पाटीदारों के आक्रोश के बाद भी जगदीश पंचाल फिर एक बार निकोल सीट से निर्वाचित हुए। हालांकि, कांग्रेस के युवा नेता इंद्रविजय सिंह गोहिल ने जगदीश पंचाल को कड़ी टक्कर दी थी। जगदीश पंचाल की जीत का अंतर लगभग 25 हजार का हो गया था, जो कि बीते चुनाव में लगभग 50 हजार के आसपास था। मगर, आखिर में भाजपा और जगदीश पंचाल के खाते में ही निकोल की सीट आई।

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