गुजरात में कांग्रेस के विधायकों के बाद उपचुनाव की तैयारियां शुरु, भाजपा ने बुलाई बैठक

राज्‍यसभा चुनाव के बाद गुजरात में भाजपा व कांग्रेस ने उपचुनाव की तैयारियां शुरु कर दी है। कांग्रेस के 8 विधायकों के इस्‍तीफे के चलते यह सीटें खाली हो गई थी। मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्‍तम रूपाला, संगठन महामंत्री वी सतीश आदि पार्टी की बैठक में शामिल हुए। कांग्रेस नेता निशीत व्‍यास बताते हैं कि पार्टी अपने रणछोड़ नेताओं की सूचनाएं जनता तक पहुंचा रही है ताकि जनता उपचुनाव में उन्‍हें सबक सिखा सके।

गुजरात में अगस्‍त व सितंबर 2020 में एक बार फिर आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होगा, इससे पहले 6 सीटों पर उपचुनाव हुआ था। राज्‍यसभ चुनाव से पहले मार्च 2020 में कांग्रेस के 5 तथा जून में 3 विधायकों ने पार्टी व विधानसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया था। इस्‍तीफे के बाद खाली हुई इन सीटों पर छह माह के भीतर उपचुनाव कराना जरूरी है इसलिए चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी शुरु कर दी है।

भाजपा ने भी उपचुनाव की रणनीति के लिए सोमवार को गांधीनगर भाजपा कार्यालय कमलम में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक बुलाई। मुख्‍यमंत्री विजय रुपाणी, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्‍तम रूपाला, उपमुख्‍यमंत्री नितिन पटेल, संगठन महामंत्री वी सतीश, प्रदेश अध्‍यक्ष जीतूभाई वाघाणी सहित पार्टी की कोर कमेटी के अन्‍य सदस्‍य इस बैठक में शामिल हुए। कांग्रेस छोड़ने वाले 8 में से 5 विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं, इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा इनको चुनाव मैदान में उतार सकती है।

कांग्रेस नेता निशीत व्‍यास बताते हैं कि राज्‍यसभा चुनाव के दौरान ही जब ये रणछोड़ नेता पार्टी छोड़कर चले गये थे उसी दौरान कांग्रेस नेताओं की टीमें उनके विधानसभा क्षेत्र में जाकर जनता को उनकी इस हरकत से अवगत करा चुकी है। प्रदेश की जनता ऐसे नेताओं को दोबारा मौका देने वाली नहीं है। व्‍यास का कहना है कि कांग्रेस इस चुनाव में पार्टी के लिए समर्पित नेता व कार्यकर्ताओं को ही प्राथमिकता देगी, उपचुनाव में भी ऐसे ही नेता को टिकट दिया जाएगा। हालांकि कांग्रेस में अभी उपचुनाव की रणनीति को लेकर बैठक नहीं हुई लेकिन पार्टी अपने नेता व कार्यकर्ताओं को जो संदेश पहुंचाना है उस पर पहले से काम कर रही है।

गुजरात में भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष जीतूभाई वाघाणी व कांग्रेस अध्‍यक्ष अमित चावड़ा को बदले जाने की अटकलें तेज हो रही है लेकिन अब उपचुनाव के सिर पर आ जाने से दोनों ही दलों के अध्‍यक्ष को दो तीन माह का कार्यकाल मिल गया है। अपने इस कार्यकाल में दोनों ही प्रदेश अध्‍यक्ष अपनी को विशेष छाप नहीं छोड़ सके। विधायकों के टूटने से कांग्रेस अध्‍यक्ष की छवि को नुकसान हुआ वहीं गत उपचुनाव में कांग्रेस की बराबर की टक्‍कर से भाजपा के अंदरुनी खेमे चिंतित हैं।

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