गुरुद्वारे में नीचे बैठकर लंगर चखते दिखे देश के राष्ट्रपति, तो सब होगे हैरान

गुरुद्वारे में नीचे बैठकर लंगर चखते दिखे देश के राष्ट्रपति, तो सब होगे हैरान

सफारी सूट, सिर पर रुमाल बांधे एक शख्स गुरुद्वारे में लाइन में नीचे बैठकर लंगर चखता दिखा तो लोग हैरान रह गए, क्योंकि वे महामहिम राष्ट्रपति थे।गुरुद्वारे में नीचे बैठकर लंगर चखते दिखे देश के राष्ट्रपति, तो सब होगे हैरानBJP नेता का शव सड़क पर रख परिजनों ने किया प्रदर्शन, रास्तों पर लगा लंबा जाम

देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीरवार को श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) में परिवार के साथ परिक्रमा कर माथा टेका। इससे पहले उन्होंने पंगत में बैठकर संगत के साथ लंगर छका और कड़ाह प्रसाद का देग चढ़ाया। लंगर भवन में राष्ट्रपति ने मटर पनीर, खीर, दाल के साथ प्रसादा छका।
राष्ट्रपति श्री दरबार साहिब में करीब 45 मिनट तक श्रद्धालु के तौर पर आम आदमी के बीच खड़े रहे। श्री दरबार साहिब की तरफ से एसजीपीसी ने राष्ट्रपति को श्री दरबार साहिब का सुनहरा मॉडल, शॉल और धार्मिक किताबें भेंट कर उन्हें सम्मान किया।
इसके बाद राष्ट्रपति कोविंद जलियांवाला बाग गए और शहीदों को भी नमन किया। जलियांवाला बाग के सचिव एसके मुखर्जी से राष्ट्रपति ने कहा कि जलियांवाला बाग देश की धरोहर है, खुशी है कि इसकी साज संभाल अच्छे ढंग से हो रही है।
राष्ट्रपति ने श्री दरबार साहिब के विजिटर बुक में लिखा …आज मुझे परम पवित्र श्री दरबार साहिब में मत्था टेकने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिस धर्म की महान परंपराओं… पंगत, संगत और लंगर में सारे भेदभाव को मिटाने की जो ताकत है, उसका अनुभव हुआ। श्रद्धालुओं में सबके भले के लिए काम करने की भावना को देखकर अपने देश के मानवतावादी मूल्यों पर गर्व होता है। यहां आकर मुझे जो दिव्य अनुभूति हुई है, उसे मैं परम पिता परमात्मा और गुरुनानक देव जी का आशीर्वाद मानता हूं।
जलियांवाला बाग में शहीदों को नमन करने के बाद राष्ट्रपति ने विजिटर बुक में लिखा …आज अमृतसर दौर पर मुझे जलियांवाला बाग में देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को नमन करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस ऐतिहासिक स्थल पर आकर और प्राणों की सर्वोच्च आहुति देने वाले शहीदों को याद कर मेरी आंखें नम हो आईं, मैं अपने अंत:करण की गहराई से उन सभी शहीद सपूतों के सम्मान में नतमस्तक हूं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने जब श्री दरबार साहिब के मुख्य गेट से प्रवेश किया तो तुझ बिन को नाही प्रभ राखनहारा नाम… गुरवाणी की गूंज कानों में पड़ी। राष्ट्रपति ने झुककर मुख्य गेट से ही माथा टेका और उसके बाद श्री गुरु रामदास लंगर भवन में चले गए। परिक्रमा करने के साथ ही राष्ट्रपति श्री अकाल तख्त साहिब पर माथा टेकने के लिए रुके। श्री दरबार साहिब में माथा टेकने के बाद राष्ट्रपति ने यादगारी के लिए फोटो खिंचवाई।
श्री दुर्ग्याणा मंदिर के दर्शन कर राष्ट्रपति अभिभूत हो गए। मंदिर प्रबंधक कमेटी के प्रधान रमेश शर्मा और अन्य लोगों ने उन्हें दोशाला व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहली बार गुरु नगरी पहुंचे थे। उनके साथ पत्नी श्रीमति सविता कोविंद, बेटा प्रशांत कुमार कोविंद, बहू गौरी कोविंद, बेटी स्वाति कोविंद, पौत्र अभिवर्या, पौत्री अनन्या और रिश्तेदार राजेश्वर लाल हांडा व उनकी पत्नी श्रीमति ऊषा हांडा भी थीं।
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