गोरखपुर के नगर विधायक डा. राधा मोहन कानें खुलने का विरोध करने पर दी सफाई….

गोरखपुर के नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल द्वारा लॉकडाउन के दौरान गोरखपुर में दुकानें खुलने का विरोध करने और उसके बाद सोशल मीडिया में विधायक के इस निर्णय का कुछ व्‍यापारिक संगठनों के विरोध में बाद विधायक ने अपनी बात रखी है। विधायक ने व्यापार मंडल के अध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह मुन्ना से बात कर कहा कि दुकानों के खुलने के बाद कोई भी दुकानदार यह नहीं बता पाएगा कि उसके किस ग्राहक को कोरोना है और किसको नहीं है, क्योंकि 80 फीसद मरीजों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। ऐसे में अगर ग्राहक किसी सेल्समैन को बीमारी देकर चला गया तो वह दुकानदार और उसका सेल्समैन उन्हें ही कोसेगा, जो सारी दुकानों को खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं।

इसलिए किया दुकानें खुलने का विरोध

विधायक ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री से बात कर दुगानें खलने का खुलकर विरोध किया है ताकि नगर विधायक के रूप में मैं कतई जिम्मेदार न बनूं। हमारा पक्ष बहुत स्पष्ट है, पूरी तरह वैज्ञानिक है और रहेगा। जब गोरखपुर में कोई मरीज नहीं था तो 100 प्रतिशत लाकडाऊन था। आज जब 60 मरीज हो गये और 5 मौतें हो गई तो सारे के सारे बाजार खोल दिये गये। यह कौन सा विज्ञान है, यह हमारी समझ के बाहर है। मुख्यमंत्री का बयान है कि मुम्बई के 75 फीसद, दिल्ली के 50 फीसद तथा अन्य जगहों के 25 फीसद मजदूर कोरोना से संक्रमित हैं। गोरखपुर पूरे भारत में सबसे अधिक मजदूरों को लाने का सेंटर बना। अब तक 194 श्रमिक ट्रेनें आ चुकी जिनमें कम से कम 2 लाख 25 हजार लोग आ चुके हैं। आप मुख्यमंत्री के बयान के आधार पर जोड़ लीजिए कि कोरोना के कितने मरीज आये होगें।

तो पूरा शहर हो जाएगा सील

विधायक राधा मोहन ने कहा कि आज गोरखपुर शहर में बेतियाहाता, रफी अहमद किदवई मोहद्दीपुर, मांटेसरी गली चारफाटक, प्रदूषण चौराहा झारखंडी, विशुनपुरवा आवास विकास कालोनी, झरनाटोला, रसूलपुर तथा तिवारीपुर आदि मोहल्ले बासं-बल्ली लगाकर सील कर दिये गये, हम क्या चाहते हैं कि धीरे-धीरे पूरा शहर सील हो जाए ? विधायक ने कहा कि हमारा कहना सिर्फ इतना है कि जितने भी संक्रमित मरीजों को बुलाना हो बुला लीजिए, लेकिन पूरे शहर को संक्रमित मत कीजिए। इन्हें नियमानुसार होम-क्वारेन्टाईन कर दीजिए और फिर कुछ दिन रुककर जब तय हो जाये कि इन श्रमिकों से बिमारी अब नहीं फैलेगी तो सिर्फ दुकान ही क्यों स्कूल, सिनेमा, माल, अस्पताल सबकुछ खोल दीजिए। यह हमारे समझ के बाहर है कि गैर-कोरोना के अन्य मरीजों का इलाज नही होगा लेकिन कपड़े,  होजरी और गहने बिकना जरूरी है।

विधायक ने कहा कि हम दुकानों के खुलने के खिलाफ नहीं है, हमें चिंता दुकानदारों और उनके सेल्समैनस् की है। कोरोना के 80 फीसद मरीजों में बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं, वे कैसे समझेंगे कि किसे कोरोना नहीं है और नामा के चक्कर में अगर उन्हें या सेल्समैनस् को कोरोना हो गया तो जिम्मेदारी किसकी होगी?।

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