गोरखपुर शहर की हवा डीजल ऑटो के धुएं से और जहरीली हुई!

गोरखपुर शहर में सबसे ज्यादा धूल पैडलेगंज से लेकर नौसड़ तक सिक्सलेन रोड पर उड़ रही है। टीपी नगर से देवरिया बाईपास तिराहा से आगे तक फ्लाईओवर बन रहा है। यहां वाहनों के आने-जाने पर खूब धूल उड़ रही है। यातायात पुलिसकर्मी ने बताया कि प्रदूषण के कारण मास्क पहनना पड़ रहा है।

गोरखपुर शहर में बीते कई दिनों से धुंध (स्मॉग) के चपेट में है। निर्माण कार्यों से उड़ रही धूल तो वजह है ही, वाहनों का धुआं इस धुंध की चादर को और काली बना रहा है। हवा को और ज्यादा जहरीला कर रहा है। अंकुश के दावों की हकीकत की एक बानगी यह है कि शहर में डीजल ऑटो के प्रवेश पर प्रतिबंध है, बावजूद इसके ऐसे दो हजार वाहन चौराहों पर बेरोकटोक सवारियां बैठा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस भी अनजान बन जाती है।

शहर में मंगलवार को एक्यूआई का स्तर 224 दर्ज किया गया, जो सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने प्रदूषण के कारकों पर अंकुश के उपाय नहीं किए तो आने वाले दिनों में स्थिति विकट हो सकती है।

दोपहर एक बजे शास्त्री चौक पर करीब 10 की संख्या में डीजल ऑटो खड़े थे। चालक ऑटो में सवारियां बैठा रहे थे। वहां होमगार्ड और ट्रैफिक पुलिस भी मौजूद थी। दोपहर डेढ़ बजे आंबेडकर चौक पर मंडलायुक्त कार्यालय के आसपास आठ ऑटो खड़ा मिले। यहां यातायात पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश नहीं की।

इसी तरह दोपहर दो बजे धर्मशाला ऑटो स्टैंड पर सीएनजी ऑटो की तुलना में डीजल ऑटो की संख्या ज्यादा नजर आई। यहां पुलिस के सामने चालक धर्मशाला रेलवे अंडरपास के नीचे ऑटो को खड़ाकर सवारियां भर रहे थे। शाम चार बजे मोहद्दीपुर चौराहे पर भी डीजल ऑटो में चालक सवारियां भरते देखे गए। इनमें ज्यादातर ऑटो वाले इंजन बंद भी नहीं करते। अगर इनके पास खड़ा हो जाएं तो काले धुएं से दम घुटने लगेगा।

बचने के लिए बदल लिया ऑटो का रंग

गोरखपुर शहर में चलने वाले सीएनजी ऑटो का रंग हरा है। ऐसे में जिम्मेदारों को चकमा देने के लिए डीजल ऑटो चालकों ने अपनी ऑटो के रंग ही बदल दिया है। डीजल ऑटो काले रंग के होते हैं, लेकिन कई डीजल ऑटो चालकों ने सीएनजी ऑटो की तरह दिखाने के लिए अपने ऑटो का रंग बदलकर हरा करा लिया है।

उड़ रही धूल, अधिकारी अपनी जिम्मेदारी गए हैं भूल
शहर में सबसे ज्यादा धूल पैडलेगंज से लेकर नौसड़ तक सिक्सलेन रोड पर उड़ रही है। टीपी नगर से देवरिया बाईपास तिराहा से आगे तक फ्लाईओवर बन रहा है। यहां मंगलवार की दोपहर 02.30 बजे वाहनों के आने-जाने पर खूब धूल उड़ रही है। टीपीनगर चौराहे पर मौजूद यातायात पुलिसकर्मी ने बताया कि प्रदूषण के कारण मास्क पहनना पड़ रहा है। इससे आगे जाने पर फलमंडी के पास दोनों ओर मिट्टी का ढेर लगा हुआ था। यहां से वाहनों के गुजरने पर धूल उड़ती रही।

तारामंडल क्षेत्र में धूल रोकने के लिए पानी का छिड़काव

तारामंडल क्षेत्र में नया सवेरा से नई फोरलेन सड़क देवरिया बाईपास रोड तक और जीएसटी ऑफिस तक फोरलेन सड़क बन रही है। दोपहर 03.05 बजे इस रोड पर अंबेडकर पार्क से आगे सड़क की धूल को रोकने के लिए टैंकर से पानी का छिड़काव किया जा रहा था। टैंकर चला रहे चालक ने बताया कि धूल को रोकने लिए ठेकेदार की ओर से पानी गिरवाया जा रहा है। हालांकि देवरिया बाईपास फोरलेन रोड पर जंगल सिकरी तक निर्माण कार्य के दौरान प्रदूषण रोकने का कोई इंतजाम नहीं नजर आया।

एआरटीओ प्रशासन अरुण कुमार ने कहा कि डीजल ऑटो शहर में पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अगर शहर में ये कहीं भी चलते मिले तो इन्हें सीज कर दिया जाएगा। दिवाली बाद अभियान चलाकर जांच की जाएगी। डीजल ऑटो चलते पाए गए तो सीज किया जाएगा।

डीजल इंजन से निकला काला धुआं ज्यादा खतरनाक

पर्यावरणविद् प्रो. गोविंद पांडेय ने बताया कि डीजल से चलने वाले वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं को काला, नीला और सफेद तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। काला धुआं ईंधन के जलने से निकलता है। सफेद धुआं अधजले ईंधन और ठंडे इंजन से निकलता है। काला धुआं ही अत्यधिक प्रदूषणकारी कण व गैसों का उत्सर्जन करता है।

चेस्ट फिजिशियन डॉ. ऋषभ गोयल ने कहा कि धूल व धुएं के कण शरीर को हर प्रकार से नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी एलर्जी की वजह से कुछ लोगों को सर्दी-जुकाम हो जाता है, जो बार-बार परेशान करता है। धुआं फेफड़े को भी प्रभावित करता है। कोविड काल में मास्क पहनने के चलते एलर्जी के मामलों में कमी आई थी, लेकिन अब फिर लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे दिक्कत हो रही है।

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कुनाल ने कहा कि प्रदूषण हृदय को भी प्रभावित करता है। दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में कई हृदय रोगी ऐसे हैं जो किसी न किसी प्रकार के प्रदूषण के चलते ही बीमार हुए हैं। आप स्वयं महसूस करिए कि अधिक धुआं वाली जगह पर जाने पर दम घुटने लगता है, तो वहीं धूल के कणों से खुजली होना सामान्य बात है। प्रदूषण हर तरह से शरीर को नुकसान पहुंचाता है।

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