गौतमबुद्धनगर के गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़नी हुई शुरू

UP Local Body Elections 2020: प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए भले ही अभी तक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन गौतमबुद्धनगर के गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़नी शुरू हो गई है। प्रधानों के खिलाफ उनके संभावित प्रत्याशियों ने जोड़-तोड़ की आजमाईश शुरू कर दी है। गांवों में मतदातओं का मान-सम्मान शुरू हो गया है। प्रशासनिक स्तर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू होते ही गांव की राजनीति रंग में आने लगी है।

बता दें कि दिसंबर में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। प्रधान बनने का सपना देख रहे संभावित प्रत्याशी लोगों के निजी कामों के लिए प्रशासनिक कार्यालयों में चक्कर काट रहे हैं। इतना ही नहीं जिला प्रशासन से संभावित प्रत्याशी वर्तमान प्रधानों पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर विकास कार्यों में अनियमितत बरतने व घोटाला करने का आरोप लगा रहे हैं। प्रशासनिक कार्यों में प्रधानों के खिलाफ शिकायतों का सिलसिला लगातार जारी है। कोरोना काल के बावजूद जनसुनवाई कार्यक्रमों में भी फरियादियों की संख्या बढ़ी है। प्रधान बनने का सपना देख रहे लोग नाली खडंजा, चकरोड, पेयजल, सार्वजनिक शौचालया की मांग के साथ लड़ाई झगड़ों के मामलों का निपटारा करने के लिए अपनी बढ़चढ़कर भूमिका निभा रहे है।

गांव की चौपाल पर सुलझने वाले मामूली विवाद भी तहरीर की शक्ल लेकर कोतवाली पहुंचने लगे है। गांवों में संभावित उम्मीदवारों के बीच अभी से राजनीति की शतरंज पर शह-मात के खेल की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। थानों से लेकर ब्लॉक व तहसील तक संभावित उम्मीदवार अपने सुरक्षिम मतदाताओं की पैरवी में जी जान से लगे हैं। इतना ही नहीं बीते समय में किसी वजह से नाराज मतदाताओं के मान मनौवल में जुटे दिखाई दे रहे हैं। सुख-दुख के कार्यक्रमों में बिना बुलाए ही पहुंचने लगे है। गांवों में गुटबाजी का दौर भी धीरे-धीरे चरम पर हैं।

जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव होना तय

प्रदेश कैबिनेट में दनकौर विकास खंड को समाप्त करने के लिए मिली स्वीकृति के बाद जिले में जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव होने का रास्ता साफ हो गया है। सदस्य पद पर चुनाव लड़ने का सपना संजोकर बैठे सफेद पोश नेताओं में उम्मीद जगी है। सुगबुगाहट शुरू होते ही प्रशासनिक कार्यालयों में नेताओं का जमावड़ा भी लगना शुरू हो गया है। भावी उम्मीदवार गुणा भाग में जुट गए हैं। हालांकि कौन सा क्षेत्र किस वर्ग के लिए आरक्षित होगा भावी उम्मीदवारों की चुनावी तैयारियों में खलल डाले हुए है। प्रशासनिक कार्यालयों में पहुंचकर जानकारी पुख्ता की जा रही हैं। अधिकारी शासन से कोई दिशानिर्देश न आने का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं। बता दें कि पिछले चुनावों में निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन आड़े आ गई थी। जिस कारण जिले में जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव नहीं हो पाया था।

जनवरी 2016 में जिला पंचायत चुनाव पर शासन की रोक के बाद जिला पंचायत की कमान जिलाधिकारी के हाथों में है। उस दौरान हाइकोर्ट में अवमानना से बचने के लिए शासन ने जिले में पंचायत चुनाव भी स्थगित कर दिए थे। हालांकि विरोध के चलते उस दौरान प्रशासन ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक शहर के तहत आने वाले गांवों को छोड़कर अन्य गांवों में पंचायत चुनाव कराए थे, लेकिन जिला पंचायत सदस्य पद पर चुनाव नहीं कराए थे। जिले में 88 ग्राम पंचायतें शेष रह गई है। इन ग्राम पंचायतों में मतदाताओं की संख्या मात्र सवा दो लाख के करीब है।

निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार 50 हजार मतदाताओं पर एक जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होता है, लेकिन दादरी को छोड़कर ऐसा कोई भी विकास खंड नहीं था, जिसकी आबादी पचास हजार मतदाताओं की संख्या को पार करती हो। दनकौर विकास खंड की समाप्ति व ग्राम पंचायतों के दूसरे विकास खंडों में विलय के बाद जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ने का सपना देख रहे भावी उम्मीदवारों में उम्मीद जगी है।

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