चार स्त्रियां जिन पर थी रावण की थी बुरी नज़र

चार स्त्रियां जिन पर थी रावण की बुरी नज़र। रावण भले ही महाज्ञानी था पर उसके कुकर्मों ने कभी उसका पीछा नहीं छोड़ा। और यही वजह उसके विनाश का कारण साबित हुआ।   चार स्त्रियों पर रावण ने रखी थी बुरी नजर…

‘रावण’ नाम का इस दुनिया में कभी दूसरा नहीं हुआ। राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को ‘दशानन’ भी कहते हैं। कहते हैं कि रावण लंका का तमिल राजा था। जैन शास्त्रों में रावण को प्रति‍नारायण माना गया है। जैन धर्म के 64 शलाका पुरुषों में रावण की गिनती की जाती है।

चार स्त्रियां जिन पर थी रावण की थी बुरी नज़र

रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्मज्ञानी तथा बहुविद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इन्द्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। इन सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे।

ज्ञानी और पंडित होने के बावजूद रावण का चरित्र और आचरण उत्तम नहीं था। आओ हम जानते हैं कि उसने कौन-कौन-सी स्त्रियों पर अपनी बुरी नजर डाली।

रम्भा से दुराचार : वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्गलोक पहुंचा तो उसे वहां रम्भा नाम की अप्सरा दिखाई दी। कामातुर होकर उसने रम्भा को पकड़ लिया। तब अप्सरा रम्भा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं

लेकिन रावण ने उसकी बात नहीं मानी और रम्भा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को शाप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श नहीं कर पाएगा और यदि करेगा तो उसका मस्तक 100 टुकड़ों में बंट जाएगा।
तपस्विनी पर बुरी नजर : एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से किसी स्थान विशेष पर जा रहा था तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी।

ऐसे में रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को शाप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।

माया पर बुरी नजर : रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया पर भी वासनायुक्त नजर रखी। माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के यहां गया। वहां रावण ने माया को अपनी बातों में फंसाने का प्रयास किया। इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को बंदी बना लिया। उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई।

जब माया सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ चलने को कहा। तब माया ने कहा कि तुमने वासनायुक्त होकर मेरा सतीत्व भंग करने का प्रयास किया इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो गई अत: तुम्हारी मृत्यु भी इसी कारण होगी।
माता सीता : भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का हरण करना तो जगत प्रसिद्ध है ही। भगवान राम की अर्द्धांगिनी मां सीता को पंचवटी के पास लंकाधिपति रावण ने अपहरण करके 2 वर्ष तक अपनी कैद में रखा था, लेकिन इस कैद के दौरान रावण ने माता सीता को छुआ तक नहीं था। इसका कारण रम्भा द्वारा दिया गया शाप था।

रावण जब सीता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया तो माता ने घास के एक टुकड़े को अपने और रावण के बीच रखा और कहा, ‘हे रावण! सूरज और किरण की तरह राम-सीता अभिन्न हैं। राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में मेरा अपहरण कर तुमने अपनी कायरता का परिचय और राक्षस जा‍ति के विनाश को आमंत्रित कर दिया है। तुम्हारे को श्रीरामजी की शरण में जाना इस विनाश से बचने का एकमात्र उपाय है अन्यथा लंका का विनाश निश्चित है।’

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