राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह ने चीनी पर जीएसटी के अलावा तीन रुपये प्रति किलो का सेस लगाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. यह उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है. खाद्य मंत्रालय ने इस तरह के सेस लगाने का प्रस्ताव रखा था. खाद्य मंत्रालय का प्रस्ताव था कि आर्थिक रूप से परेशान गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए इस तरह का सेस (उपकर) लगाया जाए. लेकिन असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता वाले समूह ने करीब तीन महीने तक चर्चा करने के बाद इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. 6,700 करोड़ रुपये जुटाने की थी योजना खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जीएसटी परिषद ने इस साल मई महीने में एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया था. प्रस्ताव के मुताबिक चीनी पर फिलहाल लगने वाले 5 फीसदी के जीएसटी के अलावा यदि प्रति किलो तीन रुपये का सेस लगाया जाए तो इससे 6,700 करोड़ रुपये की निधि तैयार हो सकती है. मंत्रालय का कहना था कि इस निधि का इस्तेमाल किसानों और चीनी मिलों की मुश्किल दिनों में मदद के लिए की जा सकती है. लेकिन 2019 के चुनाव की तैयारी में लगी बीजेपी और केंद्र सरकार को शायद यह समझ में आ गया कि इस कदम से आम आदमी पर काफी बोझ पड़ सकता है. चीनी में प्रति किलो 3 रुपये की बढ़त करना बड़ी बात है. सूत्रों के मुताबिक जीओएम ने इस बात का भी ध्यान रखा कि चीनी मिल गन्ना किसानों को भुगतान में देरी करते हैं. कुछ महीनों पहले गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया 23,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. ऐसा माना जा रहा है कि इससे बनी नाराजगी भी कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार की एक वजह है. लेकिन अब चीनी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 29 रुपये प्रति किलो तय हो जाने के बाद गन्ना किसानों का बकाया घटकर 5,000 करोड़ रुपये तक आ गया है. हालांकि जीओएम गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए दूसरे उपायों पर भी विचार कर रहा है. एक प्रस्ताव यह है कि 1 फीसदी का लग्जरी टैक्स लगाया जाए.

चीनी पर तीन रुपये प्रति किलो सेस लगाने का प्रस्ताव खारिज, उपभोक्ताओं को राहत

राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह ने चीनी पर जीएसटी के अलावा तीन रुपये प्रति किलो का सेस लगाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. यह उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है. खाद्य मंत्रालय ने इस तरह के सेस लगाने का प्रस्ताव रखा था.राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह ने चीनी पर जीएसटी के अलावा तीन रुपये प्रति किलो का सेस लगाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. यह उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है. खाद्य मंत्रालय ने इस तरह के सेस लगाने का प्रस्ताव रखा था.  खाद्य मंत्रालय का प्रस्ताव था कि आर्थिक रूप से परेशान गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए इस तरह का सेस (उपकर) लगाया जाए. लेकिन असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता वाले समूह ने करीब तीन महीने तक चर्चा करने के बाद इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया.  6,700 करोड़ रुपये जुटाने की थी योजना  खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जीएसटी परिषद ने इस साल मई महीने में एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया था. प्रस्ताव के मुताबिक चीनी पर फिलहाल लगने वाले 5 फीसदी के जीएसटी के अलावा यदि प्रति किलो तीन रुपये का सेस लगाया जाए तो इससे 6,700 करोड़ रुपये की निधि तैयार हो सकती है. मंत्रालय का कहना था कि इस निधि का इस्तेमाल किसानों और चीनी मिलों की मुश्किल दिनों में मदद के लिए की जा सकती है.  लेकिन 2019 के चुनाव की तैयारी में लगी बीजेपी और केंद्र सरकार को शायद यह समझ में आ गया कि इस कदम से आम आदमी पर काफी बोझ पड़ सकता है. चीनी में प्रति किलो 3 रुपये की बढ़त करना बड़ी बात है.  सूत्रों के मुताबिक जीओएम ने इस बात का भी ध्यान रखा कि चीनी मिल गन्ना किसानों को भुगतान में देरी करते हैं. कुछ महीनों पहले गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया 23,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. ऐसा माना जा रहा है कि इससे बनी नाराजगी भी कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार की एक वजह है.  लेकिन अब चीनी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 29 रुपये प्रति किलो तय हो जाने के बाद गन्ना किसानों का बकाया घटकर 5,000 करोड़ रुपये तक आ गया है.  हालांकि जीओएम गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए दूसरे उपायों पर भी विचार कर रहा है. एक प्रस्ताव यह है कि 1 फीसदी का लग्जरी टैक्स लगाया जाए.

खाद्य मंत्रालय का प्रस्ताव था कि आर्थिक रूप से परेशान गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए इस तरह का सेस (उपकर) लगाया जाए. लेकिन असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता वाले समूह ने करीब तीन महीने तक चर्चा करने के बाद इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया.

6,700 करोड़ रुपये जुटाने की थी योजना

खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए जीएसटी परिषद ने इस साल मई महीने में एक मंत्री समूह (GoM) का गठन किया था. प्रस्ताव के मुताबिक चीनी पर फिलहाल लगने वाले 5 फीसदी के जीएसटी के अलावा यदि प्रति किलो तीन रुपये का सेस लगाया जाए तो इससे 6,700 करोड़ रुपये की निधि तैयार हो सकती है. मंत्रालय का कहना था कि इस निधि का इस्तेमाल किसानों और चीनी मिलों की मुश्किल दिनों में मदद के लिए की जा सकती है.

लेकिन 2019 के चुनाव की तैयारी में लगी बीजेपी और केंद्र सरकार को शायद यह समझ में आ गया कि इस कदम से आम आदमी पर काफी बोझ पड़ सकता है. चीनी में प्रति किलो 3 रुपये की बढ़त करना बड़ी बात है.

सूत्रों के मुताबिक जीओएम ने इस बात का भी ध्यान रखा कि चीनी मिल गन्ना किसानों को भुगतान में देरी करते हैं. कुछ महीनों पहले गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया 23,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. ऐसा माना जा रहा है कि इससे बनी नाराजगी भी कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार की एक वजह है.

लेकिन अब चीनी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 29 रुपये प्रति किलो तय हो जाने के बाद गन्ना किसानों का बकाया घटकर 5,000 करोड़ रुपये तक आ गया है.

हालांकि जीओएम गन्ना किसानों और चीनी मिलों को राहत देने के लिए दूसरे उपायों पर भी विचार कर रहा है. एक प्रस्ताव यह है कि 1 फीसदी का लग्जरी टैक्स लगाया जाए.

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com