समायोजन रद्द होने से शिक्षामित्रों का हुजूम सड़कों पर उतर आया है। भविष्य दांव पर लगते देख शिक्षामित्र स्कूलों के बहिष्कार के साथ ही आंदोलन की राह पकड़ सरकार को बैक फुट पर लाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में चौथे दिन भी प्रदेशभर में शिक्षकों ने एकजुट होकर अपने हक की आवाज बुलंद की… दलित के घर नहीं बल्कि यहां करेंगे अमित शाह भोजन, कुछ ही देर में पहुंचेंगे !
गांधीगिरी का रास्ता अपना रहे शिक्षकों का गुस्सा
दो दिनों से गांधीगिरी का रास्ता अपना रहे शिक्षकों का गुस्सा शनिवार को केंद्र व प्रदेश सरकार पर फूटा। धरनास्थल पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे शिक्षामित्रों ने योगी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की तरफ से ठीक से पैरवी न करने के आरोप लगाए। इसके अलावा मोदी व योगी की शैक्षिक योग्यता पर तंज कसा कि उनके पीछे आईएएस व आईपीएस की फौज दौड़ रही है और हम 15 साल से बच्चों को पढ़ाने के बाद भी शैक्षिक कार्य के पात्र नहीं है। शिक्षामित्रों ने बीच-बीच में सरकार के खिलाफ गुस्सा भी जताया। वहीं सरकार को रोजी रोटी की दुहाई देकर सहायक शिक्षक बनाए रखने की अपील भी की। सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर सदर विधायक पंकज गुप्ता धरना स्थल पहुंचे।
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शाम 3 बजे धरना स्थल पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट राम प्रसाद को शिक्षामित्रों ने सीएम को संबोधित ज्ञापन देकर नौकरी सुरक्षित करने की मांग दोहराई। शिक्षामित्रों ने सरकार की तरफ से उचित फैसला न आने तक शिक्षण कार्य के साथ ही बीएलओ ड्यूटी से बहिष्कार की घोषणा की। प्रदर्शन की अगुवाई दीपनारायण त्रिपाठी, सुधाकर तिवारी, कुलदीप शुक्ल, रेखा सिंह, प्रदीप यादव, अजय प्रताप सिंह, संतोष द्विवेदी कर रहे थे। इस दौरान विभिन्न ब्लाकों के हजारों शिक्षामित्र मौजूद रहे। प्रदर्शनकारी शिक्षामित्रों को काबू में रखने के लिए सीओ सिटी स्वतंत्र सिंह, शहर कोतवाल अरविंद सिंह समेत थाना प्रभारी असीवन, अजैगन, गंगाघाट पुलिस बल काफी संख्या मौजूद रहा।
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दो साल में टीईटी पास करने की छूट दी है। जिले के कई शिक्षामित्र नौकरी में रहते हुए टीईटी परीक्षा पास कर चुके हैं। टीईटी परीक्षा पास करने वाले शिक्षामित्र प्रदर्शन से दूरी बनाकर घरों में आराम फरमा रहे हैं। यह चर्चा शनिवार को धरना प्रदर्शन में खास बनी रही।