चंडीगढ़ में एक अधिकारी के मुताबिक, पहले पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाणपत्र देना जरूरी थी। एक जनवरी 1989 के पहले जन्मे लोगों को यह सर्टिफिकेट देना होता था, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं होगी। अब आधार कार्ड, पैन कार्ड, मान्यता प्राप्त शैक्षणिक बोर्ड से जारी की गई मार्कशीट, स्कूल की टीसी, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर कार्ड और एलआईसी पॉलिसी बॉन्ड को भी जन्म प्रमाण पत्र के रूप में जमा किया जा सकता है।
दूसरा नियम, अब 8 साल से कम और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को पासपोर्ट फीस में 10 फीसदी की छूट दी जाएगी। तीसरा नियम ये कि पासपोर्ट बनवाने के लिए सरकारी कर्मचारी अपना सर्विस रिकॉर्ड, पेंशन रिकॉर्ड भी दे सकते हैं। अब सरकारी कर्मचारी को पासपोर्ट बनवाने के लिए सिर्फ खुद का घोषणापत्र देना होगा।
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चौथा नियम, ऑनलाइन आवेदन करने वाला अब एक ही अभिभावक या कानूनी अभिभावक का नाम दे सकता है। इससे सिंगल पैरेंट के होते हुए भी बच्चे का पासपोर्ट बनवाने में मदद मिलेगी। पहले आवेदन में पिता का नाम देना अनिवार्य था, अब यह जरूरी नहीं है।
पासपोर्ट फॉर्म के अनुलग्नकों का नंबर 15 से घटाकर 9 कर दिया गया है। अब इसका सिर्फ प्लेन पेपर पर प्रिंट लिया जा सकता है। इस दस्तावेज को अब सेल्फ अटेस्ट भी किया जा सकता है। किसी नोटरी या कार्यकारी मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होगी।
पासपोर्ट बनवाने के लिए अब शादीशुदा लोगों को विवाह प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं होगी। जिनका तलाक हो चुका है, उन्हें भी तलाक के दस्तावेज नहीं देनें होंगे। इसके साथ ही पति या पत्नी का नाम देना भी जरूरी नहीं होगा।
अनाथ बच्चों को भी पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाणपत्र देने से छूट मिल गई है। अब अनाथालय या चाइल्ड केयर होम के प्रमुख का घोषणापत्र देने से ही काम चल जाएगा। गोद लिए बच्चे के लिए रजिस्टर्ड प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है।