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जमीन से जुड़े रामनाथ कोविन्द
’राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद रामनाथ कोविन्द ने कहा, ‘एपीजे अब्दुल कलाम जी और प्रणब मुखर्जी ने जिस परंपरा को आगे बढ़ाया है, उस पद पर मेरा चयन मेरी जिम्मेदारी और बढ़ा रहा है।’ उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि फूस की छत से पानी टपकता था. हम भाई-बहन दीवार के सहारे खड़े होकर बारिश बंद होने का इंतजार करते थे। आज भी जब बारिश हो रही है तो न जाने हमारे देश में ऐसे कितने ही रामनाथ कोविंद होंगे जो बारिश में भीग रहे होंगे, खेती कर रहे होंगे और शाम को रोटी मिल जाए इसके लिए मेहनत में लगे होंगे।
‘बिना इजाजत किसी का कोई सामान नहीं लेना चाहिए’
रामनाथ के बचपन के दोस्त रामकिशोर शुरू से ही अनुशासन पसंद व्यक्ति थे। एक वाकया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार जब हम सभी दोस्त स्कूल से लौट रहे थे, तभी एक लड़के ने दूसरे के खेत में लगे गन्ने को तोड़ लिया। बिना इजाजत के गन्ना तोड़ने पर कोविंद गुस्सा हो गए। उन्होंने खेत मालिक को बुलाया और गन्ना वापस देकर लड़के को शख्त हिदायत दी कि अगर उसे ऐसा करना है तो वह उनके साथ फिर कभी न आए। इसके बाद लड़के ने अपनी गलती को मानते हुए माफ़ी भी मांगी।
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दूसरों के हित और सुख की कामना
रामनाथ ने चुनाव जीतने के बाद कहा कि मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सर्वे भवंतु सुखिन: की तरह मैं भी बिना भेदभाव के देश की सेवा में लगा रहूंगा। आप सभी को धन्यवाद।
कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करना
रामनाथ ने कहा कि इस पद पर रहते हुए संविधान की रक्षा करना और उसकी मर्यादा बनाए रखना मेरा कर्तव्य है। राष्ट्रपति पद पर मेरा चयन भारतीय लोकतंत्र की महानता का प्रतीक है।