जानिए एक्सपर्ट की राय, किस योजना के तहत ज्यादा अच्छे से कटेगा आपका बुढ़ापा

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 1.11 करोड़ ग्राहक जोड़े हैं। जबकि NPS ने पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में 93.6 लाख का नामांकन किया। अधिकांश कंपनियां अपने कर्मचारियों को ईपीएफ (EPF) का फायदा देती हैं। लेकिन इसके साथ ही NPS भी आयकर लाभ का फायदा देता है। हालांकि कौन सा बेहतर है, इस पर ध्‍यान देने की जरूरत है। दोनों योजनाओं में निवेश का उद्देश्य आपके रिटायरमेंट के लिए बचत करना है। इसलिए इन खातों से बिना खास जरूरत के पैसा नहीं निकालना चाहिए। दोनों निवेश दशकों से एक कॉर्पस बनाने के लिए काम आते हैं, जिसका इस्‍तेमाल आप रिटायरमेंट के बाद कर सकते हैं।

EPF एक बेनिफिट प्‍लान है, जहां ईपीएफ हर साल रिटर्न पर जोर देता है। भारत सरकार इसके रिटर्न की गारंटी देती है। जब आप अपने रिटायरमेंट तक पहुंचते हैं, तो आपको एकमुश्त रकम मिलती है। जबकि NPS में आपका पैसा इक्विटी और डेट मार्केट में लगाया जाता है। आप जो रकम जमा करते हैं वह हर महीने बाजार दरों पर कंपाउडेड इंट्रेस्‍ट के साथ बढ़ती है, जो आपके रिटायर होने के बाद आपको नियमित और उम्मीद के मुताबिक अच्छी पेंशन देने के लिए पर्याप्त है। EPF एक कर्मचारी लाभ योजना है (केवल वेतनभोगी व्यक्तियों को ही ईपीएफ लाभ मिलता है), जबकि किसी भी पेशे में कोई भी व्यक्ति अपनी सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने को एनपीएस करा सकता है।

कितनी टैक्‍स छूट

पर्सनल फाइनेंस एक्‍सपर्ट और CA मनीष कुमार गुप्‍ता के मुताबिक ईपीएफ और एनपीएस दोनों में टैक्‍स छूट मिलती है। दोनों के लिए आप निवेश की जाने वाली रकम के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर योग्य आय से 1.5 लाख रुपये तक की कटौती ले सकते हैं। NPS के लिए आप सेक्शन 80CCD (1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये की कटौती का फायदा पा सकते हैं।

NPS के फायदे

एनपीएस ज्यादातर अतिरिक्त कर लाभ के लिए है, क्योंकि योगदान पर कोई पाबंदी नहीं है। सेवानिवृत्ति योजना के आधार पर अधिक निवेश करना उपयोगी हो सकता है। 

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