जानिए शास्त्रों के अनुसार पूजा करते समय किन चीजों का टूटना नहीं होता है अशुभ..

पूजा -पाठ करते समय हर एक चीज का बारीकी से ध्यान रखते हैं कि किसी भी तरह की कोई गलती न हो, जिससे कि देवी-देवता अप्रसन्न हो जाएं। लेकिन कई बार पूजा पाठ की वस्तुएं टूट-फूट जाती है जिसके कारण मन में अशुभ होने की शंका इस तरह से घर कर लेती है कि हमेशा नकारात्मक विचार आने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजों का टूटना भी शुभ फल दे सकता है। जानिए ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में जिनका टूटना काफी हद तक शुभ होता है। शंख पूजा के समय शंख का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। पूजा पाठ, मांगलिक कार्यों के अलावा नियमित रूप से शंख बजाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। लेकिन कई बार किसी कारण शंख टूट या फिर चिटक जाता है। ऐसे में मन में कई तरह की शंकाएं उत्पन्न होने लगती है कि भगवान रुष्ट हो गए हैं अब अशुभ प्रभाव पड़ेगा। लेकिन शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि शंख को बजाने से सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर देता है। ऐसे में अगर वह टूट या चिटक जाता है तो इसका मतलब है कि उसमें नकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर ले लिया और आपके जीवन में आने वाली बुरी या घटना को टाल दिया है। देवी -देवता की तस्वीर भगवान की तस्वीर पुरानी हो जाने पर उसे तुरंत ही बदल देना चाहिए। लेकिन कई बार नई तस्वीर भी अचानक टूट या फिर उसका शीशा टूट जाता है। ऐसे में मन में किसी अनहोनी के होने का विचार बार बार आता है। लेकिन देवी-देवता की तस्वीर टूटना आपको भविष्य के बारे में सतर्क करना भी हो सकता है। इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले दस बार सोचे जरूर, जिससे कि आने वाले समय में किसी समस्या का सामना न करना पड़े। दीपक सनातन धर्म में देवी-देवता की विधिवत पूजा करने के साथ आरती करना अहम माना जाता है। आरती में भगवान का गुणगान करते हैं, जिससे कि वह आपके ऊपर कृपा दृष्टि बनाये रखें और भूल चूक के लिए माफी दें। आरती करने के लिए धूप के अलावा दीपक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन कई बार दीपक का इस्तेमाल करते समय या तो वह बुझ जाता है या फिर नीचे गिरकर टूट जाता है। इस घटना को काफी अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार दीपक का बुझ जाना या फिर टूटना कई बार बुरा नहीं होता है। ये इस बात का इशारा करता है कि आपकी पूजा में किसी प्रकार की त्रुटि रह गई है या फिर भोग में देरी या फिर पूजा में किसी तरह की कमी रह गई है। कई बार शरीर की शुद्धि का ध्यान नहीं रखते हैं। ऐसे ही बिना नहाए ही पूजा करने लगते हैं जिसके कारण भगवान अप्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए शुद्धता का पूरा ध्यान रखें।
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