जीते जी ताबूत में रहते हैं यहां के लोग, कारण जानकर शर्तिया डर जाएंगे

ताबूत में भला कौन रहना चाहेगा। वहां तो मरने के बाद सबको जाना है लेकिन कुछ लोग जीते जी ताबूत में रहने को मजबूर हैं। इनकी कुछ ऐसी मजबूरी है कि ये ताबूत में रहने के लिए भी किराया देते हैं।

जीते जी ताबूत में रहते हैं यहां के लोग, कारण जानकर शर्तिया डर जाएंगे

हांगकांग दुनिया का सबसे महंगा शहर कहा जाता है। बढ़ते कारोबार ने इस जगह को इतना महंगा बना दिया है कि वहां ब्रेड भी 300 रुपये की मिलती है। जब ब्रेड इतनी महंगी हो तो सोचिए कि रहने की हालत क्या होगी। हांगकांग में घरों की कीमतें आसमान छू रही हैं जिसकी वजह से लोग कॉफिन में रहने को मजबूर हैं।

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 वहां लोगों के लिए खुद का घर खरीद पाना तो किसी सपने से कम नहीं हैं। हालात यह हैं कि लोग किराया भी नहीं दे सकते। इसलिए वो एक पिंजरे में रहते थे और उसी में खाते-सोते थे।

 पिंजरे वाले घर के बाद अब लोग एक कॉफिन में रहने को मजबूर हैं। वहां इन्हें कॉफिन होम्स कहा जाता है। 1.9 मीटर के ये ताबूत इतने छोटे हैं कि एक इंसान से ज्यादा इसमें कोई नहीं रह सकता। इन घरों में सही तरीके से लेटने की भी जगह नहीं होती।
 हैरानी की बात यह है कि लोग इन घरों का 15 हजार तक किराया दे रहे हैं। 15 हजार किराया देने के बावजूद इन्हें रहने के लिए एक कमरा तक नहीं मिलता है।
 हांगकांग में ज्यादातर लोग इसी तरह से रह रहे हैं। कई लोगों ने तो फ्लैट्स के अंदर ही ये कॉफिन जैसे घर बना दिए गए हैं ताकि घरों की किल्लत कम हो सके। हांगकांग की सरकार के मुताबिक कम से कम 2 लाख लोग इस तरह से रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि लोगों का ऐसे घरों में रहना उनका अपमान है। सभी को सम्मान के साथ रहने का हक है।
 
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