ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में जानी जाएगी वर्तमान सदी: योगी

14 दिसंबर, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान सदी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में जानी जाएगी। इसमें तीन बातें बहुत मायने रखेंगीं। पहला परंपरागत ज्ञान। दूसरा इनोवेशन (नवाचार) और स्टार्टअप जिसे आप शोध भी कहते हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन तीनों के बीच बेहतर समन्वय के माध्यम से समाज और देश को भी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने के लिए अवसर दे रही है। इसके लिए जितने भी शैक्षणिक संस्थान हैं, उन्हें खुद को तैयार करना होगा।

मुख्यमंत्री ने यह बातें सोमवार मो यहां डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में कहीं। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण भी हुआ। साथ ही विश्वविद्यालय में नए विभागों की रचना और उसके अनुरूप बने इंफ्रास्ट्रक्चर का लोकार्पण भी हुआ।

इस दौरान सीएम ने कहा कि हम लोग अक्सर क्या देखते थे, अक्सर छात्र कोई पक्ष लेकर अपने फाइनल ईयर में जाता था, तो उसे प्रोजेक्ट का कार्य दिया जाता था, लेकिन वह प्रोजेक्ट उससे आगे भावी जीवन में किस रूप में उपयोगी बन सकता है, उससे जोड़ने का कभी प्रयास नहीं किया गया। एक नई चुनौती है आपके सामने, कोरोना से सफलतापूर्वक उबरने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर एक कमेटी का गठन करना। उसके एक-एक पक्ष के बारे में कार्य करना और फिर उसके सफलतम क्रियान्वयन के पक्ष को भी आगे बढ़ाने का कार्य करना और अगर आप इस दिशा में प्रयास कर सकेंगे, तो सचमुच आपको भावी जीवन में ज्ञान के पीछे का जो उद्देश्य है, उसका केवल सैद्धांतिक पक्ष तक सीमित न रखकर, उसका व्यवहारिक पक्ष भी दिखाई देगा।

कोरोना काल में 10 लाख 68 हजार दिव्यांगों को एक-एक हजार दिए: योगी
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में दुनिया की सदी की सबसे बड़ी आपदा से हम जूझ रहे थे और उस समय यह बात सामने आई थी कि अलग-अलग तबके के लिए शासन के अलग-अलग कार्यक्रम चल रहे हैं, तो दिव्यांग के लिए क्या हो रहा है? एक साथ 10 लाख 68 हजार दिव्यांगों को शासन ने एकमुश्त पेंशन देने के अलावा उनके अकाउंट में एक हजार की धनराशि भी डीबीटी के माध्यम से दिया। दिव्यांगों के कल्याण के लिए शासकीय सेवाओं में जो पहले उनकी कैटेगरी कम थी, उसे बढ़ाने का प्रयास भी प्रधानमंत्री ने किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारी स्वदेशी आत्मनिर्भरता और स्वालंबन पर आधारित है।

विकास, नवाचार और स्टार्टअप की नई संस्कृति को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाएं विश्वविद्यालय: योगी
उन्होंने कहा कि डॉ. शकुंतला मिश्रा, जिस विभूति के नाम पर यह विश्वविद्यालय बना है, आज उनकी ग्रैंड डॉटर (पोती) को भी जीवन की पहली पीएचडी की उपाधि मिली है। यही तो जीवन की उपलब्धि है, डॉ. शकुंतला मिश्रा की आत्मा को असीम शांति की अनुभूति हो रही होगी, उनके नाम से बने विश्वविद्यालय में पहली पीएचडी की उपाधि उनकी पोती ने अर्जित की है और यह भारत की ज्ञान की प्रवाह की परंपरा को हमें गौरवशाली बनाने की ओर अग्रसर करता है। मुझे विश्वास है विश्वविद्यालय सभी की भावनाओं के अनुरूप विकास, नवाचार और स्टार्टअप की नई संस्कृति, भारत की परंपरागत ज्ञान की संस्कृति को एक नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने में निरंतर कार्य करेगा।

दिव्यांग शब्द के लिए सीएम ने पीएम का जताया आभार
उन्होंने कहा कि हम आभारी हैं, जिन्होंने विकलांग शब्द में दिव्यांग शब्द जोड़कर, यानि हम सबके अंदर एक दिव्य शक्ति है, जिस दिव्य शक्ति का अहसास इस समाज को होना चाहिए और जब भी उचित अवसर किसी व्यक्ति को मिला है, उसने अपनी दिव्य शक्ति का लोककल्याण और राष्ट्र कल्याण के लिए पूरा अवसर हमें दिया। इसलिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विकलांग शब्द के स्थान पर दिव्यांग शब्द देने और इसके माध्यम से दिव्यांगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने पर उनका आभार व्यक्त करता हूं।

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