ट्रेन में भीख मांगने वाला बच्चा बना ऑस्ट्रेलिया का बिजनेसमैन, रियल लाइफ पर बनी हॉलीवुड फिल्म

हॉलीवुड फिल्‍म ‘लॉयन’ में सपोर्टिंग रोल निभाने वाले भारतीय मूल के ब्रिटिश एक्टर देव पटेल को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है। ये फिल्म मध्यप्रदेश के खंडवा में रहने वाले बच्चे शेरू की जिंदगी पर आधारित है। 27 जनवरी को ये फिल्म भारत में रिलीज की जाएगी। आइए जानते हैं खंडवा में भीख मांगने वाला शेरू कैसे बना ऑस्ट्रेलिया का बिजनेसमैन।
ट्रेन में भीख मांगने वाला बच्चा बना ऑस्ट्रेलिया का बिजनेसमैन, रियल लाइफ पर बनी हॉलीवुड फिल्म

 बात 1987 की है। खंडवा के गणेश तलाई में मौसीन खान और उनकी पत्नी फातिमा बी रहा करते थे। उनके दो बेटे और एक बेटी थी। बड़े बेटे का नाम गुड्डू, छोटे बेटे का नाम शेरू और बेटी का नाम शकीला था। फातिमा बी दूसरों के घरों में बर्तन मांजा करती थीं और मौसीन मजदूरी करते थे।

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घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इसलिए मौसीन और फातिमा बच्चों को कभी स्कूल नहीं भेज पाए। गुड्डू और शेरू भी मां-बाप का हाथ बटाने के लिए ट्रेन पर भीख मांगते थे। शकीला अभी छोटी थी। शेरू की उम्र उस समय 5 साल थी। एक बार गुड्डू और शेरू रोज की तरह ट्रेन पर भीख मांग रहे थे।

 शेरू को नहीं पता था कि आज उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाएगी। भीख मांगते-मांगते गुड्डू अपने छोटे भाई को छोड़ आगे निकल गया और शेरू ट्रेन में सो गया। ट्रेन कब कोलकाता पहुंच गई शेरू को पता ही नहीं चला। अब शेरू अपने परिवार से बहुत दूर आ चुका था। वो भटक गया था।

 शेरू स्टेशन पर उतर गया। कई दिनों तक स्टेशन पर ही रहा और रोता रहा। तभी नवजीवन नाम की संस्‍था में काम करने वाले एक शख्स की नजर शेरू पर पड़ी। ये संस्‍था अनाथ बच्चों के लिए काम करती है। वो शख्स शेरू को संस्‍था में ले आया। काफी समय तक शेरू इसी संस्था में रहा।

 भारतीय मूल के ब्रिटिश एक्टर देव पटेल ऑस्कर के लिए हुए नॉमिनेट

इस दौरान उसका जीवन बड़ा ही कष्टों से बीता। तभी एक दिन ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला ब्रायली दंपती इस संस्‍था में बच्चा गोद लेने के लिए पहुंचा। इस दंपती ने शेरू को गोद ले लिया और ऑस्ट्रेलिया लेकर चले गए। वहां शेरू 20 साल तक रहा और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की।

 लेकिन उसके मन में अपने असली माता-पिता और भाई-बहन से मिलने की इच्छा हमेशा बनी रही। अब शेरू 26 साल का हो चुका है और उसका नाम बदलकर सारू ब्रायली हो गया है। अपने माता-पिता को ढूंढने के लिए सारू ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। उसने गूगल मैप सहित कई सोशल मीडिया ग्रुप की मदद ली।

 इसके जरिए आखिरकार उसने अपने परिवार को ढूंढ ही निकाला। 12 फरवरी 2012 को वो अपने माता-पिता से मिलने खंडवा जा पहुंचा। शेरू के पास उसकी एक पुरानी फोटो थी। फातिमा बी और मौसीन अपने बिछड़े हुए बेटे से मिलकर बहुत खुश हुए। शेरू का बड़ा भाई गुड्डू ड्राइवर है और बहन शकीला की शादी हो चुकी है। 

 ऑस्ट्रेलिया में रहकर शेरू अपनी मां का पूरा ध्यान रख रहा है। उसने अपनी मां को हज करने के लिए 3 लाख रुपए भेज दिए हैं। यह राशि उसने अपनी मां के बैंक खाते में जमा की है। शेरू ने अपनी मां को खंडवा में ही चार लाख रुपए का घर दिला दिया है। शेरू ने घर वापसी के संस्मरण को किताब की शक्ल दी। इस किताब पर ऑस्ट्रेलिया के मशहूर निर्देशक एंड्रू फ्रेजर ने शेरू की रियल लाइफ पर फिल्म बना डाली। 

 
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