डायरी दिनांक 03.03.2017: गुरु माँ की डायरी से जानें अपने गुरु को

Kavita Asthana
17 hrs ·
3 मार्च 17…आज श्रीगुरुजी कॉलेज से सीधे Studio चले गए, किसी कारण से मैंने इन्हें कॉल किया, चर्चा कब दूसरी तरफ घूम गयी, पता नहीं चला…मैंने कहा,” कोई चीज़ अभी सही लगती है पर उस स्थिति से बाहर निकल कर वही बात गलत लगती है… जो सही – गलत नहीं सोचते, वो मस्त रहते हैं पर जो सोचते हैं, वो इसी उहा – पोह में जीवन गुज़ार देते हैं।”
ये उधर से बोले,” सही और गलत में बहुत महीन रेखा होती है और हम सभी अपने दैनिक जीवन में इस रेखा के इधर- उधर कूदते रहते हैं। हर बात के पहले और बाद में अगर सही- गलत का विश्लेषण करते रहेंगे तो ज़िन्दगी दुशवार हो जायेगी….इसलिए बस यह ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा कोई भी काम जो हम अकेले में करते हैं, अगर सबके सामने नहीं कर सकते, तो अकेले में किया हुआ वह काम गलत है….”
“पर हाँ, यहाँ यह भी ध्यान देना होगा कि काम किस प्रकार का है, कुछ बातें confidential होती हैं, वह सबके सामने नहीं की जा सकतीं ,” मैंने अपनी बात जोड़ी।
” …सो तो है, हर बात की एक उचित जगह होती है, यह तो देखना ही होगा…एक मोटी बात और…कोई काम सही है या गलत, यह काम करने की मंशा भी निर्धारित करती है। अगर नीयत गलत है, तो सही काम भी गलत हो जाता है…।” इन्होंने कहा।
‘ Shot ready है, गुरूजी, ‘ मेरे कानों में आवाज़ पड़ चुकी थी, सो मैंने जल्दी से ‘ राम -राम ‘ कर phone रख दिया , नहीं तो ये फिर कहते” आप हमेशा मुझे बातों में लगा लेती हैं, मेरा काम रुका हुआ है…।”

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