डायरी दिनांक 20 अप्रैल 2017: गुरु माँ की डायरी से जानें अपने गुरु को

20 अप्रैल 17…..आज आपको श्रीगुरुजी की एक पीड़ा से परिचित कराती हूँ।श्रीगुरुजी ध्यान को बहुत महत्व देते हैं और इसीलिए उन्होंने आश्रम में ‘सिद्ध ध्यान मठ ‘के नाम से एक सुंदर ध्यान मंदिर भी बनवाया है जिसकी ऊर्जा का स्तर कोई अनुभवी अथवा सिद्ध ही बता सकता है। अब इनकी पीड़ा यह है कि लोग ध्यान मंदिर न जाकर, श्रीगुरुजी के इर्द-गिर्द ही रहना चाहते हैं। लोगों को ध्यान करने हेतु प्रेरित करने के लिए, उन्होंने कई युक्तियां भी निकालीं, मठ के अंदर बहुत changes भी किये पर इनकी पीड़ा वहीं रही।

एक बार उन्हें एक और idea आया…।रात के 9 बजे थे।मैं घर पर थी और ये आश्रम में, इनके साथ दो बच्चे और थे जो आश्रम में रुके हुए थे।(मैं चाहूंगी कि अगर वे दोनों बच्चे इस पोस्ट को पढें तो ज़रूर इस घटना की सत्यता की पुष्टि करें)। इन्होंने एक बच्चे को बुलाया और कहा ,” श्रीकृष्ण की यह प्रतिमा यहां से उठाओ और ध्यान मंदिर में स्थापित करो, शायद कृष्ण – आकर्षण से लोग उनके सम्मुख ध्यान करने बैठा करें…”( आप शायद इनकी तड़प को महसूस कर पा रहे होंगे)…और दूसरे बच्चे से बोले,” तुम माँ को अभी phone करो और उन्हें convince करो कि वह कृष्ण जी के स्थान परिवर्तन के लिए मान जाएं, पर phone अभी करना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि वह अभी बेटे को पढ़ा रही होंगी तो जल्दी बात पूरी कर देंगी, all the best…”।
एक बच्चे ने कृष्ण जी उठाये और एक ने मुझे phone लगाया… मैं इधर से phone पर…” बिल्कुल भी नहीं…कृष्ण जी नही हटेंगे।श्रीगुरुजी स्वयं तो कहते हैं कि लोगों को साकार रूप से निराकार रूप की ओर ले जाना है…ऊपर माता रानी हैं, साकार रूप में और नीचे ध्यान मंदिर में ,इसीलिए कोई प्रतिमा नहीं…हम ज़ोर लगाते रहेंगे, लोग धीरे-धीरे ढल जाएंगे…” “…पर माँ श्रीगुरुजी कह रहे हैं कि एक बार कृष्ण जी…”,वह बच्चा बीच में बोला। मैंने उसे ज़ोर से डपटा और phone रख दिया।
अगले दिन पता चला कि श्रीगुरुजी बच्चों से कह रहे थे,” मैं तो जानता था वह नहीं मानेंगी पर मैंने सोचा शायद तुम बच्चे सफल हो जाओ।”
आज इस डायरी के माध्यम से मैं आपके श्रीगुरुजी से कहना चाहती हूं , ” मेरा यह परिवार वैसा ही बन जायेगा, जैसा आप चाहते हैं…राष्ट्रभक्त, विचारशील,ज्ञानवान, विनम्र परंतु वीर और ध्यान की महिमा को पहचानकर, ध्यान का अभ्यासी भी बनेगा… मुझे अदम्य विश्वास है।”

 
 
 
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