डायरी दिनांक 21 मार्च 2017: गुरु माँ की डायरी से जानें अपने गुरु को

21 मार्च 17…मैंने अपने प्रश्न का आशय स्पष्ट करते हुए श्रीगुरुजी से कहा,” अगर हमारी कोई गलती नहीं,फिर भी हमें हमारे नाते रिश्तेदार परेशान करते हैं, तो वे हमें पूर्व जन्म के कर्मों के हिसाब से दंड देकर ठीक कर रहे है या अपने लिए गलत? ” ये बोले, ” जो कष्ट उठाना पड़ता है, वह है तो पूर्व जन्मों का लेखा जोखा और कष्ट देने वाले व्यक्ति से हमारा ऋण बंधनडायरी दिनांक 21 मार्च 2017: गुरु माँ की डायरी से जानें अपने गुरु को

….परंतु हर मनुष्य को ईश्वर ने विवेक दिया है जिससे वह किसी भी परिस्थिति में सही निर्णय ले सके।मनुष्य को चाहिए कि वह विवेकानुसार निर्णय ले कि उसे व्यक्ति और विधि के बीच नहीं आना चाहिए…किसी को सजा देने का काम ईश्वर का है, वह जाने और सजा पाने वाला व्यक्ति….हम क्यों बनें माध्यम किसी को सजा देने का ….अब यह मत कहना कि दंड देना ईश्वर पर छोड़ दें तो फिर क़ानून की क्या ज़रूरत…”, ये हँसते हुए बोले।

“.. ..नहीं जी…ऐसा भला कौन सोच सकता है…..तो सार यह है कि रिश्तों में अगर दुःख मिले तो समझ लें कि यह हमारे ही कर्मों का फल है,इससे हमें शांति और तसल्ली मिलती है और जो कष्ट दे रहा है ,वह अपने लिए पाप इकट्ठा कर रहा है ,ठीक है न…? ” मैंने कहा ।
” जी, आप सही समझीं….पर एक बात और….मनुष्य कोे इस जन्म के कष्टों से मुक्ति के लिए प्रायश्चित के साथ -साथ समझदारी से, चतुराई से, विवेक से प्रयास भी करना चाहिए, जहाँ आवश्यकता हो ,वहां विरोध भी करना चाहिए….’ मेरे ही कर्म ऐसे रहे होंगे,’ सिर्फ यह सोचकर हाथ पर हाथ धर कर बैठना नहीं चाहिए….नहीं तो निर्धन व्यक्ति धन कमाने का प्रयास ही नहीं करेगा कि यह तो मेरे कर्मों का फल है।” इन्होंने कहा।
“….हूँ…मतलब …..one has to strike a right balance between past birth karm and present birth karm….पर यह आसान नहीं…” मैंने धीरे से कहा। ये तो एकदम जोश में आ गए, बोले ,” सब कुछ आसान होता तो मानव जीवन ही किस काम का? लड़ने की क्षमता और बुद्धि, विवेक, ईश्वर ने इन्ही परिस्थितियों से निपटने के लिए दी है हमें।”
” जी…”, मैं संतुष्ट थी।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com