डोकलाम का नया खुलासा: जंग के मूड में था चीन, भारी संख्या में तैनात कर रखे थे सैनिक

डोकलाम का नया खुलासा: जंग के मूड में था चीन, भारी संख्या में तैनात कर रखे थे सैनिक

भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद अब भले ही सुलझ चुका है और दोनों देश इसे पीछे छोड़कर अपने रिश्ते आगे बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करने की बात कर रहे हैं. हालांकि अब एक किताब में बताया गया है चीन यहां आर-पार की लड़ाई के लिए पहले से तैयार था और यहां उसने डोकलाम में एक महीने ही भारी संख्या में अपने सैनिक तैनात कर रखे थे.डोकलाम का नया खुलासा: जंग के मूड में था चीन, भारी संख्या में तैनात कर रखे थे सैनिकअभी-अभी: दुनिया की सबसे वजनी महिला इमान अहमद का हुआ निधन…

नितिन गोखले की किताब ‘सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वेः पठानकोट, सर्जिकल स्ट्राइक एंड मोर’ में बताया कि चीन ने डोकलाम विवाद शुरू होने से करीब 1 महीने ही सिक्किम के चुंबी घाटी के करीब फरी जोंग इलाके में 12 हजार सैनिक, 150 टैंक और आर्टिलरी बंदूकें तैनात कर रखी थीं. इस खुलासे से पता चलता है कि चीन की मंशा डोकलाम को लेकर युद्ध करने की थी.

गोखले ने अपनी किताब में मानवरहित विमानों (UAV) के जरिये ली गई डोकलाम की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं, जिससे पता चलता है कि यहां मई के तीसरे हफ्ते में ही तनाव शुरू हो गया था, लेकिन चीन ने 26 जून को इसका सार्वजनिक ऐलान किया.

इस किताब पर इंडियन एक्सप्रेस में छपी का एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो चीन ने भारत के सिक्किम के सामने स्थिति

अपनी चौकी पर सैनिकों की संख्या काफी बढ़ा दी थी. इसके बाद भारतीय सेना ने भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी. किताब में बताया गया कि जहां दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने थे वहां चीनी माइक और पोर्टेबल लाउडस्पीकर लगाकर बार-बार 1962 के युद्ध के सबक की बात दोहरा रहे थे. चीनियों ने अपने बचाव के लिए पत्थर और मिट्टी से अस्थायी निर्माण भी करना शुरू कर दिया था.

 

भारतीय UAV में चीनी और भूटानी सैनिकों के बीच मुठभेड़ भी दर्ज है. हालांकि यह झड़प जल्द ही खत्म हो गई, जिसके बाद दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी पोस्ट पर लौट गए. किताब के मुताबिक, 5 जून को दोनों देशों के बीच दूसरी झड़प को हुई, जब चीनी गश्ती दल पार्किंग एरिया में जा पहुंचा. यहां वो भूटानी सैनिकों को जबरन धक्का देकर हटाने लगे और उन्हें धमकी देने लगे.

किताब के मुताबिक, भूटानी सैनिकों से जब यह खबर नई दिल्ली पहुंची तो भारतीय सेना ने हस्तक्षेप का फैसला किया. चीनी सेना ने इसके बाद 16 जून की सुबह 7.30 बजे के करीब का एक हल्के और नौ भारी गाड़ियों के अलावा सड़क बनाने से जुड़े साजोसामान वहां भेजे.

गोखले के मुताबिक, उस दिन सुबह 7.50 से 10.10 तक भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच इस मुद्दे पर बात हुई. फिर दोपहर 12.51 से 1.31 बजे तक आठ भूटानी सैनिकों के पेट्रोल ने चीनियों से बात की. किताब के अनुसार भारत ने लाउडस्पीकर से सड़क निर्माण रोकने की अपील की, लेकिन चीनी नहीं माने. इसमें साथ ही बताया गया कि चीनियों ने 18 जून को फिर से सड़क बनानी शुरू कर दी. भारतीय सेना ने उनसे चार बार काम रोकने के लिए कहा, लेकिन वह रुके नहीं. इस पर भारतीय सैनिकों ने उच्च अधिकारियों तक बात पहुंचाई, तो नई दिल्ली से चीनियो को रोकने का आदेश आया.

किताब के मुताबिक, भारतीय सैनिकों ने फिर यहां मानव-शृंखला बनाकर चीनियों को रोक दिया. उसी दिन 150 चीनियों ने भी भारतीयों के सामने ही मानव-शृंखला बना ली. ये विवाद अगले 73 दिनों तक जारी रहा. 28 अगस्त को दोनों देशों के बीच अंतिम सहमति बनी और फिर 7 सितंबर को दोनों देशो के सैनिक 150 मीर पीछे हट गए.

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