प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच डोकलाम पर जारी गतिरोध की इबारत हैम्बर्ग (जर्मनी) में ही लिख दी गई थी।दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा की शुरुआत, 6 महीने तक नहीं बोलेंगे राजनीति पर
रणनीतिक मामलों के जानकार नितिन ए. गोखले की नई किताब ‘सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे’ में दावा किया गया है कि जी-20 सम्मेलन में जब मोदी अचानक जिनपिंग के करीब गए तो इसके बाद के नतीजों से चीनी दल भी चकित रह गया था।
पुस्तक के अनुसार, संक्षिप्त मुलाकात में ही मोदी ने शी को सलाह दे डाली कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और स्टेट काउंसलर यांग जिची को डोकलाम गतिरोध खत्म करने के लिए पहल करनी चाहिए।
बैठक के गवाह रहे भारतीय राजनयिकों के अनुसार मोदी ने शी से कहा था, ‘हमारे रणनीतिक संबंध दोकलम जैसे छोटे-छोटे सामरिक मुद्दों से ही मजबूत हुए हैं।’
इस मुलाकात के 15 दिन बाद ही डोभाल ब्रिक्स एनएसए बैठक के लिए पेइचिंग गए। उधर भारतीय दल राजदूत विजय गोखले की अगुवाई में चीन में 38 बैठकें कर चुके थे और उन्हें मोदी, डोभाल तथा विदेश सचिव एस. जयशंकर के लगातार निर्देश मिलते रहे।
पुस्तक के मुताबिक, टीम को बता दिया गया था कि भारत जमीन पर मजबूती से डटा रहेगा और इस मसले के हल के लिए डिप्लोमैसी ही सबसे सही रास्ता है।
ब्रिक्स स्तर पर जोरदार तैयारी करने के बाद चीन शिखर सम्मेलन में भारत की अनुपस्थिति का खतरा मोल नहीं ले सकता था। अंत में, बात यहां तक पहुंची कि चीन इस क्षेत्र में सड़क निर्माण के कार्य को रोकेगा, जिस वजह से यह विवाद पैदा हुआ था।
पुस्तक में यह भी कहा गया है कि यह विवाद मई के अंतिम दिनों में शुरू हुआ और इसे तीन चरणों में बांटा जा सकता है। मई के अंत से 25 जून तक गतिरोध, 26 जून से 14 अगस्त के बीच दोनों तरफ की सेनाएं आमने-सामने और 15 अगस्त से 28 अगस्त के बीच विवाद अपने चरम पर। डोकलाम में 16 जून की नोकझोंक के बाद ही चीनी सेना के साथ विवाद हुआ था।
पुस्तक के अनुसार, 20 जून को नाथू ला में मेजर जनरल अधिकारी स्तर की वार्ता हुई, लेकिन इसके बाद भी तनाव खत्म नहीं हुआ और 14 अगस्त को यह अपने चरम पर पहुंच गया। दोनों देशों की पहल पर 28 अगस्त को यह विवाद समाप्त हुआ। पुस्तक का विमोचन उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया।
सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि बातचीत से ही इस मसले का हल निकलेगा। इसी बीच, 15 अगस्त को चीन के कुछ सैनिकों ने लद्दाख की पेंगगोंग लेक के करीब भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की।
भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को रोकने की कोशिश की। इसे लेकर दोनों देशों के सैनिकों के बीच पहले हाथापाई हुई। इसके बाद मामला पत्थरबाजी तक पहुंच गया।
इस घटना के बाद माना गया कि दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ेगा, लेकिन डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिये डोकलाम विवाद 72 दिन बाद सुलझ गया।