पति ने दहेज में मिले पैसों से खरीदा था. इस घर में उनके पति का बड़ा भाई, उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी रहते हैं।
मुझमें अब और लड़ने की हिम्मत नहीं बची इशरत बताती हैं कि मैं इस घर में अब असुरक्षित और डरी हुई महसूस करती हूं, इतनी बड़ी लड़ाई लड़ने के बाद अब मुझमें लोगों से और लड़ने की हिम्मत नहीं बची .
तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है जिसका मुस्लिम मर्दों ने विरोध किया तथा मुस्लिम औरतों ने इसका समर्थन, लेकिन तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली इशरत जहां की लड़ाई अभी यहीं नहीं समाप्त हुई है.
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कोर्ट के इस फैसले के बाद अब इशरत को समाज की यातनाओ का सामना करना पड़ रहा है. इशरत को जान से मरने की धमकिया मिल रही है. कोर्ट के बाहर इशरत की यह लड़ाई कानूनी लड़ाई से कहीं ज्यादा मुश्किल हो रही है.
तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की वजह से इशरत को अपने ससुराल वालों और पड़ोसियों की भी आलोचना का सामना करना पड़ा और उनके ताने सुन ने पद रहे है.
लेकिन इन सब के बावजूद इशरत ने अकेले लड़ाई लड़ी और कभी भी उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी, उनकी इस लड़ाई का लाभ अब देशभर की मुस्लिम महिलाओं को जरुर मिलेगा.
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2004 में पति ने फोन पर दिया था तलाक. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इशरत को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके पड़ोसियों ने ही उनके चरित्र तक पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
इशरत जहां के पति ने उन्हें दुबई से 2014 में फोन पर तलाक दे दिया था, इशरत के बाद अब चार अन्य मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, इन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे दिया.
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पति ने दहेज में मिले पैसों से खरीदा था. इस घर में उनके पति का बड़ा भाई, उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य भी रहते हैं।
मुझमें अब और लड़ने की हिम्मत नहीं बची इशरत बताती हैं कि मैं इस घर में अब असुरक्षित और डरी हुई महसूस करती हूं, इतनी बड़ी लड़ाई लड़ने के बाद अब मुझमें लोगों से और लड़ने की हिम्मत नहीं बची .