दिनेश्वर शर्मा पहुंचे श्रीनगर, CRPF आईजी ने कहा- दौरे से बढ़ सकती है आतंकी घटनाएं

दिनेश्वर शर्मा पहुंचे श्रीनगर, CRPF आईजी ने कहा- दौरे से बढ़ सकती है आतंकी घटनाएं

कश्मीर मामले पर बातचीत के लिए केंद्र सरकार के प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा आज से 6 दिनों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं।दिनेश्वर शर्मा पहुंचे श्रीनगर, CRPF आईजी ने कहा- दौरे से बढ़ सकती है आतंकी घटनाएंJ&K: सेना ने उरी सेक्टर में नाकाम की घुसपैठ की कोशिश, दो आतंकियों मार गिराया

कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा का जम्मू-कश्मीर दौरा आज से शुरू होगा। पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि के रूप में अलगाववादियों से वार्ता करने के लिए श्रीनगर पहुंच चुके हैं। शर्मा श्रीनगर में चार दिन और जम्मू में दो दिन रुकेंगे। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक दिनेश्वर शर्मा अपने एक सप्ताह के दौरे के दौरान छात्र नेताओं सहित कई अलगाववादी समूहों और व्यक्तियों से मिलेंगे।

वहीं दिनेश्वर शर्मा के दौरे को लेकर सीआरपीएफ के आईजी रवि दीप शाही ने कहा है कि, ‘वार्ताकार के कश्मीर दौरे के दौरान आतंकी घटना बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि ग्रेनेड हमले में बढ़ोत्तरी हो सकती है।’ 

जिन मुद्दों पर वे बात करेंगे उनमें सुरक्षा बलों द्वार कथित उत्पीड़न, अपर्याप्त बिजली आपूर्ति और खराब स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे नागरिक मुद्दे शामिल हो सकते हैं।

दिनेश्वर शर्मा 24 अक्टूबर को संघीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किए गए थे, नियुक्ति के बाद राज्य में उनका पहला दौरा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘वार्ता के मुद्दों में बिजली-संबंधी समस्या या किसी क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं की कमी हो सकती है। निर्वाचित प्रतिनिधियों, संगठनों और संबंधित नागरिकों के साथ वार्ता शुरू करना और उनकी शिकायतों को सुनना इस पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।’

बता दें कि अलगाववादियों, टूर आपरेटरों, कारोबारियों सहित कई संगठनों ने बातचीत में शामिल होने से इनकार किया है। नेकां प्रमुख डा. फारूक अब्दुल्ला तथा कांग्रेस के नेता तारिक हमीद कर्रा ने कहा है कि वार्ताकार से बहुत अधिक उम्मीद नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रम में डालने की कोशिश है। अपने दौरे के दौरान दिनेश्वर युवाओं सहित विभिन्न राजनीतिक दलों तथा संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर घाटी में शांति तथा खुशहादली बहाली और कश्मीर मुद्दे के समाधान की कोशिशें करेंगे। 

‘कश्मीर मुद्दा लोगों के जीवन, मौत तथा सम्मान से जुड़ा हुआ है’

आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएचसी) के नेता तथा पीपुल्स पालीटिकल पार्टी के चेयरमैन इंजीनियर हिलाल अहमद वार ने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बताते हुए वार्ताकार की भूमिका को खारिज किया है। कहा कि कश्मीर मुद्दा लोगों के जीवन, मौत तथा सम्मान से जुड़ा हुआ है। इस वजह से यह मुद्दा वार्ताकार से हल नहीं किया जा सकता है।

इसका समाधान सीधे तौर पर जम्मू-कश्मीर की जनता के बीच जनमत संग्रह कराकर या फिर भारत, पाक व कश्मीर के बीच त्रिपक्षीय वार्ता के जरिये ही किया जा सकता है। उन्होंने वार्ताकार से किसी प्रकार की बातचीत से इनकार करते हुए भारत तथा पाक को विश्वास बहाली के कदम उठाने को कहा है। 

हाउसबोट एसोसिएशन के अब्दुल हमीद वांग्नू ने वार्ताकार से मिलने से इनकार करते हुए कहा कि वे यहां राजनीतिक समाधान के लिए आ रहे हैं न कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए। इस वजह से उनसे मिलने का कोई फायदा नहीं है। पिलग्रिम एंड लेजर टूर आपरेटर फोरम के अध्यक्ष नसीर शाह, टूरिस्ट ट्रेड इंटरेस्ट गिल्ड प्रमुख बशीर अहमद करनाई ने भी वार्ताकार से मिलने से इनकार किया है।

ग्रैंड डिप्टी मुफ्ती नसीर उल इस्लाम ने भी दिनेश्वर से मिलने से इनकार करते हुए कहा है कि सिविल सोसाइटी का कोई भी ग्रुप नहीं मिलेगा। एपीएससीसी के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने कहा है कि वे वार्ताकार से मिलकर सिख समुदाय की मांगों को रखेंगे। साथ ही घाटी के वर्तमान हालात की भी जानकारी देंगे। 

राज्य सरकार सूची तैयार कर रही
राज्य सरकार वार्ताकार से मिलने वाले लोगों की सूची तैयार कर रही है। इनमें युवाओं के अलावा विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के नुमाइंदों के अलावा धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। माना जा रहा है कि वार्ताकार अपने दौरे के दौरान विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से मिलकर उनका दुख दर्द सुनेंगे। साथ ही उनके समाधान का रास्ता निकालेंगे। 

कोई जादुई छड़ी नहीं, पर शांति के गंभीर प्रयास होंगे : शर्मा
वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने कहा है कि उनके पास कोई जादुई छड़ी नहीं है, लेकिन घाटी में शांति के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे। उनके प्रयासों को गंभीरता के साथ देखा जाना चाहिए न कि पूर्व के अनुभवों के आधार पर। कार्यों के आधार पर आकलन होना चाहिए। कश्मीर के विभिन्न साझेदारों से बातचीत शुरू किए जाने से पहले कोई भी नतीजा नहीं निकाला जाना चाहिए। मीडिया में हो रही आलोचनाओं पर कहा कि वे कश्मीर में विद्वतजनों से भी मिलकर उनकी सलाह लेंगे ताकि इस कठिन राष्ट्रीय कार्य को पूरा किया जा सके। 

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