दिल्ली-एनसीआर में अगले 24 घंटे हैं बेहद अहम, खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण

दिल्ली-एनसीआर में अगले 24 घंटे हैं बेहद अहम, खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता काफी गंभीर हो गई है। यदि अगले 24 घंटे तक ऐसी स्थिति रही तो फिर वायु गुणवत्ता आपात स्तर पर पहुंच जाएगी। फिलहाल रात नौ बजे तक वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति ने 12 घंटे से अधिक का चक्र पूरा कर लिया है।दिल्ली-एनसीआर में अगले 24 घंटे हैं बेहद अहम, खतरनाक स्तर पर पहुंचा वायु प्रदूषण
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) की हेल्थ एडवाइजरी एक बार फिर लोगों को घरों में ही रहने और बच्चों व बूढ़ों को खास बचाव करने की सलाह दे रही है। बुधवार की तुलना में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक में काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

बृहस्पतिवार को दिल्ली का एक्यूआई 469 जबकि गाजियाबाद व नोएडा का एक्यूआई अधिकतम 500 के स्तर पर रिकॉर्ड किया गया। मौसम अगर नहीं सुधरा तो खतरा अभी टलेगा नहीं। मौसम विभाग के मुताबिक, हवा की गति काफी धीमी रहेगी और धुंध भी सुबह मध्यम श्रेणी का रह सकता है।

ऐसे में हवा की स्थिति में सुधार की गुंजाइश कम है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की टास्क फोर्स ने इस स्थिति को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु गुणवत्ता के दौरान प्राधिकरणों से प्रतिबंधों को लागू करने के लिए कहा है। 

इनमें डीजी सेट, हॉट मिक्स प्लांट, ईंट-भट्ठे और कूड़ा-कचरा जलाया जाने पर अंकुश आदि शामिल है। बृहस्पतिवार को दोपहर दो बजे के बाद से दिल्ली और आसपास कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता काफी खराब गंभीर श्रेणी में दर्ज की जा रही है।

इनमें प्रभावी प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 है। यह सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से पांच गुना ज्यादा 300 यूनिट के पार दर्ज किया जा रहा है। सीपीसीबी के वैज्ञानिक डॉ डी साहा ने कहा कि मौसम पर हमारा वश नहीं है।

इस वक्त प्रदूषण के लिए मौसम उत्प्रेरक का काम कर रहा है। दिल्ली समेत एनसीआर को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तहत पहले से सम-विषम जैसी योजना को लागू करने के लिए तैयार रहने को कहा जा चुका है। मिक्सिंग हाईट और मंद हवा व तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषण और बढ़ने के आसार हैं।

दिल्ली और यूपी में आनंद विहार, गाजियाबाद में वसुंधरा, नोएडा में सेक्टर-125 और डीटीयू, पंजाबी बाग, पश्चिमी दिल्ली, आरके पुरम, दक्षिणी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 301 से 500 के बीच रिकॉर्ड की गई। यह एक्यूआई बहुत खराब से गंभीर स्थिति को दर्शाता है। 

‘बेअसर और काफी खर्चीला है एंटी स्मॉग गन’

शहरों का एक्यूआई 
स्थान एक्यूआई 
दिल्ली  469 
गाजियाबाद 500 
नोएडा  500 
गुरुग्राम  346 
नोट : सीपीसीबी के मुताबिक विभिन्न शहरों का एक्यूआई शाम 4 बजे जारी किया गया है। 301 से 400 के बीच का एक्यूआई बहुत खराब और 401 से 500 के बीच का एक्यूआई गंभीर श्रेणी को दर्शाता है।

बेअसर और काफी खर्चीला है एंटी स्मॉग गन : सीपीसीबी 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि एंटी स्मॉग गन औद्योगिक व निर्माण गतिविधि के दौरान होने वाले धूल प्रदूषण को कुछ हद तक कम कर सकता है लेकिन यह काफी ऊंचाई पर जमा हुए प्रदूषक तत्वों को जमीन पर बिठाने में नाकामयाब है। यह सिर्फ 30 मीटर तक ही बौछार कर सकता है।

 
इसके जरिये वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को सुधारा नहीं जा सकता। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि इस एंटी स्मॉग गन के बारे में दोबारा सोचा जाना चाहिए। क्योंकि सिर्फ दिल्ली के ही 1484 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करने के लिए करीब पांच हजार एंटी स्मॉग गन मशीनें लगेंगी जो शायद बेहद ही खर्चीला और अनुपयोगी हो।

प्रदूषण से पैदा हो रहे कमजोर दिल के बच्चे

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि वाहनों के प्रदूषण से कमजोर दिल वाले बच्चे पैदा हो रहे हैं। इस शोध पर दिल्ली के डॉक्टरों ने भी सहमति जताई है। सर गंगाराम अस्पताल के इंटर्नल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ एसपी बयोत्रा का कहना है कि वाहनों से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन की मात्रा काफी रहती है।

उस धुएं में अन्य जानलेवा गैसों का मिश्रण भी होता है, जो गर्भवती महिलाओं को सीधे प्रभावित करता है। उनके अनुसार, प्रदूषण के कण सांस के जरिये गर्भवती महिला के रक्त तक पहुंचते हैं, जहां से ये पूरे शरीर में दौड़ने लगते हैं। यही वजह है कि पैदा होने से पहले ही शिशु बीमारी के जाल में फंसा जाता है।

उधर, फोर्टिस के डॉ विकास मौर्या व कालरा अस्पताल के निदेशक डॉ आरएन कालरा ने कहा कि दुनियाभर में प्रदूषण को लेकर तरह-तरह के शोध सामने आ रहे हैं। वहां की सरकारें इन शोधों के आधार पर बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन भारत में अभी भी प्रदूषण को एक नई बीमारी के रूप में देखा जा रहा है। यहां सरकारें प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता फैलाने में जुटी हैं, जबकि जरूरत जमीनी स्तर पर काम करने की है। 

नवजात शिशुओं में दृश्यता होती है कम 
दरियागंज स्थित आई-7 के निदेशक डॉ संजय चौधरी ने बताया कि कई बार कमजोर दिल के साथ-साथ नवजात शिशु में दृश्यता न के बराबर होने के मामले भी सामने आते हैं। पांच वर्षों के भीतर दिल्ली में ऐसे केस तेजी से बढ़े हैं। उनके क्लीनिक में 0 से 5 वर्ष तक की आयु में दृश्यता कम होने के हर दिन 30 से 40 नए केस देखने को मिल रहे हैं।  

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com