दुनिया के सबसे बड़े रिवर आइलैंड के तौर पर मशहूर ये जगह है अकेले घूमने के लिए बेस्ट

4-5 दिनों की छुट्टी में घूमने के लिए किसी ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं जो खूबसूरत होने के साथ ही चहल-पहल से दूर हो। तो माजुली आइलैंड आकर आप अपनी इस ख्वाहिश को पूरा कर सकते हैं। असम के ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में बसा माजुली, दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। माजुली को असम की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। गुवाहाटी से 200 किमी पूर्व माजुली आइलैंड तक पहुंचने के लिए फेरी लेनी पड़ती है क्योंकि यहां नदी पर पुल नहीं बने हैं। फेरी राइड आपके सफर को बनाते हैं और भी सुहाना। इस दौरान आप आसपास के खूबसूरत नजारों को एक्सप्लोर भी कर सकते हैं।

माजुली आइलैंड में क्या है खास

ब्रह्मपुत्र नदी के बीचों-बीच 875 वर्ग किमी में फैला माजुली एक ऑफ बीट डेस्टिनशन है। साल 2016 में इस आइलैंड को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे बड़े नदी द्वीप के तौर पर शामिल किया गया है। अगर आप घूमने के साथ-साथ कला और विरासत को भी जानने का शौक रखते हैं तो यहां आपको काफी कुछ मिलेगा। यहां एक और खास बात जो आपको देखने को मिलेगी वो है ये कि यहां हर एक घर में आपको नाव मिलेगी। बाढ़ आने के दौरान लोग इन नावों को ही अपना घर बना लेते हैं।

रास उत्सव का रंग

पर्व और त्योहारों का महीना होता है कार्तिक। उसी समय नवंबर में यहां रास महोत्सव का आयोजन किया जाता है। 3 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। नवंबर में यहां आकर आप भी इस खास पर्व का हिस्सा बन सकते हैं।

बाइक रेंट पर लेकर आप यहां चावल के खेत, छोटे-छोटे खूबसूरत गांव को घूम सकते हैं। गांवों में सड़कों के किनारे लोग हाथों से अलग-अलग कारीगरी करते हुए नज़र आ जाएंगे। जिसके लिए खासतौर ये जगह मशहूर है। यहां से आप इन चीज़ों की खरीददारी भी कर सकते हैं।

सत्र यात्रा

कई सारे हिंदुओं के लिए माजुली आइलैंड पवित्र स्थलों में से एक है। इस आइलैंड पर कुल 22 सत्र हैं। सत्र, वैष्णव पूजास्थलों को कहा जाता है। माजुली असम के नए वैष्णव संस्कृति का हब है। ज्यादातर सत्र शास्त्रीय अध्ययन, संस्कृति और कला के लिए जाने जाते हैं। यहां के सत्र में आप मुखौटा बनाने की पुरानी शिल्प कला को देख और सीख सकते हैं।

आइलैंड में ही देख सकते हैं खूबसूरत पक्षी

माजुली आइलैंड पक्षियों को देखने के लिए भी बेहतरीन जगह है। यहां का दलदलीय क्षेत्र में सर्दियों में माइग्रेटरी बर्ड्स जैसे पेलिकन्स, स्कॉर्क्स, साइबेरियन क्रेन्स और व्हीसलिंग टील्स को आसानी से देखा जा सकता है। इनके अलावा जंगली गीज़ और बत्तख भी पाए जाते हैं

हवाई मार्ग- जोरहाट यहां का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है। लगभग सभी बड़े शहरों से यहां तक के लिए फ्लाइट्स अवेलेबल हैं। वैसे गुवाहाटी तक के लिए भी फ्लाइट बुक कर सकते हैं। यहां से माजुली आइलैंड तक की दूरी 265 किमी है।

सड़क मार्ग- जोरहाट ही माजुली का सबसे नज़दीकी रोड लिंक है। जहां से लगातार असम स्टेट टूरिज़्म की बसें चलती रहती हैं। इसके अलावा डीलक्स बसों की सुविधा भी अवेलेबल है।

फेरी द्वारा- माजुली तक के लिए दो फेरी राइड्स हैं। एक राइड में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है।

कब जाएं

वैसे तो इस आइलैंड पर आप कभी भी जा सकते हैं। लेकिन नवंबर से मार्च के बीच जाना सही रहेगा जब पानी का स्तर बहुत ज्यादा नहीं होता और साथ ही उस दौरान यहां माइग्रेटरी पक्षियों को भी देखा जा सकता है। जुलाई से सितंबर मानसून सीज़न में ये आइलैंड लगभग डूब जाता है।

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