देव दीवाली: घर की ड्योढ़ी से बाबा की चौखट तक जले दीप…

देव दीपावली पर घर की देहरी से बाबा की चौखट तक घाट और गलियों के रास्ते दीप से दीप जल उठे। कार्तिक पूर्णिमा की सांझ का दीपक चंद्रमा और तारों से होड़ ले रहा था। देश ही नहीं दुनिया भर में काशी की देव दीपावली की भव्यता ने हर किसी का मन मोह लिया। आठ लाख सैलानियों समेत 15 लाख लोग इस भव्य आयोजन के साक्षी बने।

देवाधिदेव महादेव की काशी के घाटों पर सोमवार की शाम 21 लाख दीप एक साथ जले तो नजारा देवलोक जैसा दिखा। देवताओं के साथ काशीवासियों ने भव्यता से देव दीपावली मनाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहला दीया जलाया, फिर एक-एक करके 85 घाटों, गंगा उसपार रेती, तालाब, कुंड, मंदिर और घरों में दीप जलाए गए।

चेत सिंह घाट पर लेजर शो और गंगा पार क्रैकर्स शो का अद्भुत नजारा दिखा। दशाश्वमेध घाट की महाआरती में राम भक्ति और राष्ट्रवाद की झलक देखने को मिली। यह पहला मौका था, जब 70 देशों के राजदूत सहित 150 विदेशी मेहमान आए और देव दीपावली का भव्य, दिव्य नजारा देखा।

12 लाख दीये सरकार तो नौ लाख जनसहभागिता से जले
देव दीपावली पर काशी नगरी में लगभग 21 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए गए। काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर ही 12 लाख से अधिक दीप जलाए गए। इनमें एक लाख दीये गाय के गोबर से बने थे।

पश्चिमी तट घाटों और पूर्वी तट की रेत पर दीप जलाये गए। काशी के कुंडों, सरोवरों, गंगा-गोमती तट पर स्थित मार्कंडेय महादेव, वरुणा नदी के शास्त्री घाट आदि स्थानों पर करीब नौ लाख दीये जलाये गए। प्रदेश सरकार की तरफ से 12 लाख ( एक लाख गोबर के दीप), स्वयंसेवी संस्था और जन सहभागिता से कुल 21 लाख से अधिक दीपों से काशी रोशन हुई है।

पहला मौका, जब 70 देशों के राजदूत व डेलीगेट्स देखी देव दीपावली
यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में 70 देशों के राजनायिकों ने अलौकिक, अद्भुत और अविस्मरणीय क्षण को देखा है। प्रदेश सरकार ने इस बार देव दीपावली को प्रांतीय मेले का दर्जा दिया है। इससे भव्यता और बढ़ गई।

रोशनी से नहाई दिखी काशी
धार्मिक,आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी में सोमवार की गोधूलि बेला में भव्य देव दीपावली मनाई गई। सूर्यास्त के साथ ही उत्तरवाहिनी जाह्नवी के तट पर दीपों ने अद्भुत और अलौकिक छटा बिखेरी। काशी के धनुषाकार 85 घाटों पर मानो आकाशगंगा के सितारे उतर आए। पूरी काशी दीपों की रोशनी में नहाई दिखी। सभी घाटों पर शंखनाद, भव्य महाआरती और घंट-घड़ियालों की ध्वनि से काशी की धरती पर देवताओं का स्वागत हुआ।

रामलला को समर्पित रही महाआरती
देव दीपावली पर काशी के घाटों की शृंखला अलग-अलग रंग बिखेरती दिखी। दशाश्वमेध घाट की महाआरती में राम भक्ति और राष्ट्रवाद के साथ आध्यात्मिकता व सामाजिकता की भी झलक दिखी। दशाश्वमेध घाट की महाआरती रामलला को समर्पित रही। भक्तों को यहां रामलला व राम मंदिर की झलक देखने को मिली।

अमर जवानों को अर्पित की श्रद्धांजलि
दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाकर देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भारत के अमर वीर योद्धाओं के परिजनों को भगीरथ शौर्य सम्मान से सम्मानित किया गया। 21 अर्चक व 51 देव कन्याएं ऋधि सिद्धि के रूप में दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की पूजा और आरती की, यह नारी शक्ति का संदेश भी देती रही।

परंपरा के साथ आधुनिक काशी का नजारा, महाआरती का सजीव प्रसारण
काशी के घाटों पर एक साथ दीये जले तो अलौकिक नजारा देखने को मिला। चेत सिंह घाट पर साउंड एंड लाइट शो विद प्रोजेक्शन शो के माध्यम से पौराणिक काशी और भगवान शिव के चित्रात्मक जानकारी सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। देव दीपावली पर काशी के सभी मंदिरों, घाटों पर फसाड लाइट, सड़क के विद्युत खंभों को भी आकर्षक तिरंगे स्पाइरल झालरों से सजाया गया। काशी विश्वनाथ धाम के सामने गंगा पार रेत पर ग्रीन आतिशबाजी का भी लोगों ने आनंद लिया। शहर के छह प्रमुख स्थानों पर घाटों पर महाआरती का सजीव प्रसारण किया गया।

श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर लेज़र शो, 11 क्विंटल फूलों से सजाया
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को जिस तरह उद्घाटन के समय सजाया गया था, वैसे ही देव दीपावली पर 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया। गंगा द्वार पर लेज़र शो के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम पर आधरित काशी का महत्व और कॉरिडोर के निर्माण संबंधी जानकारी लेज़र शो के माध्यम से दर्शाया गया।

केंद्रीय व प्रदेश के सरकार के मंत्री भी साक्षी
देव दीपावली कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, मंत्री अनिल राजभर, दयाशंकर मिश्र दयालु, रवींद्र जायसवाल आदि भी इस अद्भुत पल में श्रद्धा निवेदित करने पहुंचे।

लाइट एंड साउंड शो में दीवारों पर जीवंत हुए इतिहास के पन्ने
देव दीपावली पर श्री काशी विश्वनाथ धाम का नजारा भी भव्यता को मात दे रहा था। 11 टन फूलों से पूरा धाम परिसर सजा हुआ था। वहीं घाट किनारे शाम के समय लाइट एंड साउंड शो का शुभारंभ हुआ तो उसे देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ अपने स्थान पर थम गई।

ललिता घाट के इतिहास निर्माण और सनातन धर्म की संस्कृति को बयां करते हुए इतिहास के पन्ने जब लोगों के सामने दीवारों पर जीवंत होने लगे तो पूरा घाट थोड़ी देर के लिए थम सा गया। वहीं, इतिहास को बदलते हुए धाम के नए स्वरूप लाइट एंड साउंड शो के माध्यम दर्शनार्थियों ने देखा तो हर हर महादेव के जयघोष गूंज उठा। इतिहास के पन्ने में औरंगजेब के मंदिरों को तहस-नहस से लेकर अहिल्याबाई के निर्माण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए इस भव्य स्वरूप को बड़े विस्तार से दिखाया गया।

धरती से आसमान तक आतिशबाजी
गंगा पार सतरंगी छटा वाली आतिशबाजी ने धरती से आसमान तक धाम और गंगा पार को रंग-बिरंगा बना दिया। आतिशबाजी को देखकर मानो ऐसा लग रहा था जैसे गंगा भी अपना प्रवाह भूलकर यहीं स्थिर हो गई हों। सारी नावें एक जगह खड़ी हो गई थीं।

कहीं जले गोबर के दीप तो कहीं मिट्टी के
देव दीपावली पर पूरे जिले में 25 लाख से अधिक दीप जलाए गए। अस्सी से नमोघाट तक 12 लाख से अधिक दीप जलाए गए। इसमें एक लाख दीपक गाय के गोबर से बने थे। इन दीयों को पश्चिमी और पूर्वी तट के रेत पर जलाया गया। कुंड, सरोवर, गंगा-गोमती का तट, वरुणा नदी का किनारा दीयों से जगमग हो उठा।

परंपरा के साथ आधुनिक काशी ने की कदमताल
देवदीपावली पर काशी ने जहां परंपरा को निभाते हुए 25 लाख दीये जलाए तो वहीं घाटों पर, मंदिरों में फसाड लाइट, विद्युत झालरों की सजावट भी की गई। सड़क के विद्युत खंभों को भी आकर्षक तिरंगे स्पाइरल झालरों से सजाया गया। शहर के छह प्रमुख स्थानों पर घाटों की महाआरती का सजीव प्रसारण किया गया।

 

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