देश के पहले CJI, जिनके खिलाफ 'बागी' हो गए उनके ही साथी, जानिए क्या है वजह...

देश के पहले CJI, जिनके खिलाफ ‘बागी’ हो गए उनके ही साथी, जानिए क्या है वजह…

सुप्रीम कोर्ट के 4 मौजूदा जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी. साथ ही उन्होंने चीफ जस्टिस पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. आइए जानते हैं कौन हैं चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और उनसे जुड़ी कई अन्य बातें…देश के पहले CJI, जिनके खिलाफ 'बागी' हो गए उनके ही साथी, जानिए क्या है वजह...
 बड़ी खबर: मीडिया के सामने आए SC के 4 सिटिंग जज, सरकार में मचा हड़कंप

दीपक मिश्रा ने पिछले साल 27 अगस्त को यह पद संभाला था और उन्होंने जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की जगह ली थी. ओडिशा के रहने वाले जस्टिस मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था. वो भारत के 45वें प्रधान न्यायाधीश हैं. उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर 2018 तक रहेगा.
 

2009 के दिसंबर में उन्हें पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. फिर 24 मई 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका ट्रांसफर हुआ. 10 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.
 

जस्टिस दीपक मिश्रा ने 1977 में ओडिशा हाईकोर्ट से बतौर वकील करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद 1996 में वह ओडिशा हाईकोर्ट के जज बने. इसके बाद साल 2009 में जस्टिस दीपक मिश्रा ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभाला था.
 

दीपक मिश्रा अपने फैसलों को लेकर भी कई बार विवादों में रहे हैं. सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने को लेकर वो काफी चर्चाओं में रहे थे, हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को वापस ले लिया है.
 

साल 1979 में उड़ीसा सरकार ने भूमिहीन किसानों के लिए एक योजना शुरू की थी, जिसमें मिश्रा ने लाभ उठाने के लिए एक शपथ पत्र दिया था, जिसकी वजह से वो चर्चा में रहे थे. इस शपथपत्र के बाद दीपक मिश्रा को जमीन आवंटित कर दी गई. लेकिन बाद में जब इस मामले की जांच हुई तो जांचकर्ता ने पाया कि यह जमीन धोखाधड़ी से आवंटित करवाई गई थी.
 

वहीं 2002 में उन्होंने नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार को नहीं कहा था, जिसकी वजह से उनका विरोध हुआ. इसके अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही साल 2012 के बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
 

मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही सुनाई थी. आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में रात भर सुनवाई चली थी. सुप्रीम कोर्ट में रात के वक्त सुनवाई करने वाले बेंच की अगुवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही की थी.
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com