दरअसल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार शाम एक के एक बाद कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा कि दिल्ली सरकार ने 40 सरकारी सेवाओं को दिल्लीवालों के घर तक पहुंचाने की योजना तैयार की थी।
डोर स्टेप डिलवरी सिस्टम की कोई जरूरत नहीं है। सिसोदिया के मुताबिक, कई सेवाओं के डिजिटल होने के बावजूद कार्यालयों में लंबी लाइन लगी रहती है। योजना लागू हो जाने के बाद इससे निजात मिल जाती। उपराज्यपाल ने यह फैसला बगैर जमीनी हकीकत को समझे लिया। दिल्ली कैबिनेट के फैसले का खारिज करना जनहित में नहीं है।
उपमुख्यमंत्री के ट्वीट आने के बाद उपराज्यपाल कार्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि योजना को रोकने से जुड़ी रिपोर्ट भ्रामक हैं। उपराज्यपाल ने इस पर रोक नहीं लगाई है। जबकि कुछ सुझावों के साथ योजना पर दोबारा विचार करने को कहा है।
उपराज्यपाल के सुझाव
ज्यादातर सरकारी सेवाएं आनलाइन हैं। बची सेवाओं को भी कुछ दिनों में डिजिटल प्लेटफार्म पर लाया जाएगा। ऐसे में होम डिलीवरी का ज्यादा औचित्य नहीं बचता।
उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि सरकार को इसी तरह के प्रायोगिक सुझाव देते हुए दोबारा विचार करने का कहा गया है। ताकि योजना को पारदर्शी, प्रभावी व पर्यावरण फेंडली बनाया जा सके।