धौनी के 2019 का विश्व कप खेलने में हैं 5 बड़ी मुश्किलें, क्या होगा बेड़ा पार?

नई दिल्ली। 23 दिसंबर, 2004 को बांग्लादेश के चटगांव में लंबी जुल्फों वाला एक लड़का सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरता है। पहली ही गेंद पर वह रन आउट हो जाता है। पूरी सीरीज में उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहता है। हालांकि चयनकर्ता उसे फिर मौका देते हैं और अगली ही सीरीज में वह विशाखापत्तनम के मैदान में चौकों-छक्कों की ऐसी बारिश करता है कि चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान पानी-पानी हो जाता है। 

धौनी के 2019 का विश्व कप खेलने में हैं 5 बड़ी मुश्किलें, क्या होगा बेड़ा पार?

उस मैच में 123 गेंदों पर 148 रन बनाने वाले महेंद्र सिंह धौनी शुक्रवार को 36 साल के हो गए हैं और अब वह ऐसे दोराहे पर खड़े हैं जहां उन्हें टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली, भारतीय चयनकर्ताओं और प्रशंसकों के समर्थन की दरकार है। क्योंकि जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक वह 2019 में इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप तक नहीं खेल पाएंगे।

मैच फिनिशर नहीं रहे धौनी

पूर्व भारतीय कप्तान धौनी की शुरुआत सातवें नंबर के बल्लेबाज के तौर पर हुई और उन्होंने चौथे नंबर पर भी बल्लेबाजी की। अपनी कप्तानी के दौरान वह निचले क्रम में ही उतरते रहे, क्योंकि उन्हें लगता था कि आखिरी ओवरों में वह मैच फिनिशर के तौर पर 30 गेंदों में भी 60 रन बनाकर मैच जिताने का माद्दा रखते हैं। उन्होंने कई बार ऐसा किया, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ उनकी यह कला लुप्त सी हो गई है। अब टीम में हार्दिक पांड्या के तौर पर नया मैच फिनिशर भी आ गया है। 

धीमी पड़ गई है धौनी की रफ्तार

धौनी का करियर अभी तक चमचमाता हुआ है। वह अपने 300वें वनडे से सिर्फ चार मैच दूर हैं, लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ खत्म हुई सीरीज के चौथे वनडे मैच में उन्होंने जिस तरह 114 गेंदों पर 52 रन बनाए उसने उनकी काबिलियत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यही कारण है कि भारत को उस मैच में दूसरे दर्जे की कैरेबियाई टीम से हार का सामना करना पड़ा। नॉर्थ साउंड में खेली गई इस पारी ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मैच फिनिशर की तेजी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या दो साल तक खेल पाएंगे धौनी?

चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भी विकेट के पीछे से धौनी जिस तरह कोहली की मदद कर रहे थे उससे पता चलता है कि उनका अनुभव अभी टीम इंडिया के लिए काफी काम आ रहा है। उनके बचपन के कोच चंचल भट्टाचार्य भी कह रहे हैं कि माही 2019 विश्व कप तक खेल सकते हैं। चयनकर्ताओं की भी फिलहाल उन्हें हटाने की हिम्मत नहीं है, लेकिन पूर्व भारतीय कप्तान और जूनियर भारतीय टीम के कोच राहुल द्रविड़ कह चुके हैं कि चयनकर्ताओं को अब युवराज सिंह और धौनी जैसे सीनियरों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। 

उम्र खड़ी करेगी धौनी के रास्ते में बाधा

सवाल यह है कि क्या 2019 विश्व कप में 38 साल की उम्र में वह भारत के लिए मैच जीत सकते हैं। हाल के समय में धौनी के बल्लेबाजी में संघर्ष करने से लगता है कि फिनिशर की उनकी क्षमता में गिरावट आई है, लेकिन अगर यह पूछा जाए कि क्या वह अब भी सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर और टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं तो इसका जवाब हां होगा।

45 मैचों का सफर होगा बड़ी चुनौती

हालांकि धौनी को अगर दो साल तक वनडे और टी-20 में टिके रहना है तो उन्हें उस स्तर का प्रदर्शन करना होगा जिससे यह साबित हो कि वह अब भी ऋषभ पंत जैसे युवाओं से श्रेष्ठ हैं क्योंकि ये युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज शानदार प्रदर्शन कर रहा है। दो साल बाद होने वाले विश्व कप से पहले भारत को 45 मैच खेलने हैं और ऐसे में उनका क्रिकेट की इस पिच पर टिके रहना आसान नहीं होगा।

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