नासा के मंंगल पर भेजे जाने वाले मानव मिशन पर खतरे के बादल, जानें कैसे

नासा द्वारा मंगल की जानकारी लेने के लिए भेजे गए इनसाइड लैंडर को लॉन्‍च किए हुए अभी महज छह माह पूरे हो गए हैं। यह 26 नवंबर को मंगल पर पहुंचेगा। यह यान मंगल की जमीन की भीतरी सतह की जांच करेगा। इस यान को इनसाइट (इंटीरियर एक्प्लोरेशन यूजिंग साइस्मिक इनवेस्टिगेशन जीयोडसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट) का नाम दिया गया है। यदि यह मिशन कामयाब रहता है तो इससे मंगल ग्रह से जुड़े कई सारे रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। लेकिन समय के साथ-साथ इस ग्रह की अपनी समस्‍याओं की पहचान भी होने लगी है। अब वैज्ञानिकों ने यहां पर आने वाली समस्‍याओं की एक लिस्‍ट तैयार की है। इस लिस्‍ट में शामिल तमाम चीजें मंगल मिशन पर जाने वाले पहले अंतरिक्षयात्रियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं।

मानव भेजने को तैयार हो रहा नासा 
दरअसल, नासा मंगल पर जिस मानव भेजने की तैयारी कर रहा है। इस सफर में कई खतरे हैं। यह मिशन पूरी तरह से सफल हो इसलिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी हर कदम को फूंक-फूंक कर रख रही है। इसी कड़ी में उसने एक ऐसी सूची तैयार की है, जिसमें उन खतरों का जिक्र किया गया है, जो इस सफर में आ सकती हैं। नासा की प्रयोगशाला और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आइएसएस) द्वारा किए गए अध्ययन के आधार पर तैयार की गई इस सूची में पांच बड़ी मुश्किलों को शामिल किया गया है। नासा के मुताबिक, ये पांच मुश्किलें, विकिरण, अलगाव और बंधन, धरती से दूरी, गुरुत्वाकर्षण (लाल ग्रह पर धरती की तुलना में कम है) और बंद वातावरण हैं। नासा के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अभी तक एकत्र किया गया डाटा, टेक्नोलॉजी और विधियां ऐसे अभियानों में मदद करती हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में इंसानी शरीर और दिमाग कैसा काम करेगा।

ये हैं चुनौतियां 

लाल ग्रह पर जाने की सबसे पहली बड़ी चुनौती विकिरण है क्योंकि इसे इंसानी आंखों से देखा नहीं जा सकता। इसलिए इसे पांच चुनौतियों में सबसे खतरनाक माना गया है। वहीं, दूसरी चुनौती अलगाव और बंधन है। अंतरिक्ष यात्रियों को जितना भी प्रशिक्षण दे दिया जाए, लेकिन अंतरिक्ष में थोड़ा समय बिताने के बाद उनके व्यवहार में बदलाव आने लगता है। परिवार से दूर और एक जगह पर बंद होने के कारण उन्हें मजबूत करना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा धरती से मंगल की दूरी करीब 14 करोड़ मील है। चांद तक पहुंचने के लिए अंतरिक्षयात्रियों को मुश्किल से तीन दिन की यात्रा करनी पड़ी थी, लेकिन मंगल तक का सफर करीब तीन साल का है। चौथी समस्या वहां अलग तरह का गुरुत्वाकर्षण है। वहां का गुरुत्वाकर्षण धरती से कम है इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों को सामंजस्य बैठाने में समय लगेगा। इसके अलावा पांचवीं चुनौती मंगल का तापमान, दबाव और शोर है। इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करना नासा की प्राथमिकता होगी

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