नोटबंदी के बाद से ही कालेधन को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए आयकर विभाग नोटबंदी के बाद ITR में बदलाव करने वालों की जांच करने के लिए उनकी पहचान करने में जुटा हुआ है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने सोमवार को यह जानकारी दी कि विभाग ने 30 हजार ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई है जो कर चोरी जैसे कामों को अंजाम दे रहे हैं। वहीं, देश में करदाताओं का संख्या बढ़कर सवा छह करोड़ हो चुकी है।
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सीबीडीटी के चेयरमैन ने एक कार्यक्रम में मीडिया को बताया कि 8 नवंबर 2016 में नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था। लेकिन नोटबंदी के बाद दाखिल ITR की तुलना जब पहले के रिकॉर्ड्स के साथ की गई तो ये मामले सामने आए। उन्होंने बताया कि इन मामलों में कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन क्लीन मनी के पहले चरण के बाद ये सामने आया है कि कुछ करदाताओं ने अपने बैंक खातों की जानकारी देने में लेटलतीफी की है और कई खाताधारकों ने अधिकारियों को अकाउंट की कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई है। इसलिए विभाग उन खाताधारकों की तलाश कर रहा है कि जिन्होंने नोटबंदी के बाद संदिग्ध रूप से अपने बैंक अकाउंट में पैसा जमा करवाया है।
चेयमैन ने आगे बताया कि भारत में एंट्री रेट टैक्स 5 प्रतिशत है जो कि पूरी दुनिया में सबसे कम में से एक है। हाल ही में लागू किए गए बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून पर बात करते हुए बताया कि 233 मामलों में 840 करोड़ रुपये मूल्य के अटैचमेंट किए जा चुके हैं। उन्होंने कई शेल कंपनियों के पास बेनामी संपत्ति होने की भी बात कही जिन पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने को कहा है। उन्होंने बताया कि नोटबंदी से पहले आयकरदाताओं संख्या 4 करोड़ थी जो नोटबंदी के बाद से सवा छह करोड़ हो गई है।
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