पंजाब में चुनाव नतीजों से पहले बढ़ा आतंकवाद का साया, हाई अलर्ट जारी

पंजाब में चुनाव के दौरान दस्तक देने वाला आतंकवाद का साया नतीजे आने से पहले बढ़ गया है जिसे लेकर खुफिया एजैंसियां सकते में हैं और पुलिस भी पहले से सक्रिय नजर आ रही है। पंजाब में आतंकवाद का दौर खत्म होने के बाद यह पहला मौका होगा जब चुनाव से पहले आतंक ने दस्तक दी और बाद में इसका साया बना हुआ है। चुनाव से पहले हुए मामलों में आर.एस.एस. नेता जगदीश गगनेजा, शिवसेना नेता दुर्गा गुप्ता की हत्या के मामले प्रमुख रहे।जब चुनाव से पहले हाई अलर्ट था तो नाभा जेल ब्रेक कांड हो गया जिसमें गैंगस्टरों के साथ आतंकवादियों की मिलीभगत सामने आई, हालांकि पुलिस ने अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए एकाएक हरकत में आकर आरोपियों को पकडऩे का दावा किया लेकिन आगे के लिए कोई मुस्तैदी नहीं बरती जिसका नतीजा चुनाव के दौरान मौड़ मंडी बम विस्फोट के रूप में सामने आया। इसके बाद लुधियाना के ङ्क्षहदू नेता अमित शर्मा की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। यह मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि डेरा सच्चा सौदा के नामचर्चा घर में कैंटीन चलाने वाले पिता-पुत्र की हत्या कर दी गई।

पुलिस इनमें से कुछ मामलों को आतंकी घटना मान चुकी है जिसे लेकर कहना गलत नहीं होगा कि पंजाब में नई बनने वाली सरकार के लिए नशों की समस्या खत्म करके कानून व्यवस्था के हालात में सुधार करने के अलावा बड़ी चुनौती आतंकवाद के खतरे से निपटने की भी रहेगी। इसी के दृष्टिगत डी.जी.पी. द्वारा संगठित अपराध पर लगाम लगाने के लिए पकोका लागू करने बारे पिछली सरकार को भेजा गया प्रस्ताव मंजूर करने के लिए नई बनने वाली सरकार से सिफारिश करने की बात कही है लेकिन इससे पहले ही पुलिस की परेशानी खुफिया एजैंसियों के उस अलर्ट से और बढ़ गई है जिसमें चुनाव से पहले आतंकी घटना होने की आशंका जताई गई है जिसे लेकर पुलिस सकते में है। इसके तहत जहां नाकाबंदी करके तलाशी अभियान चलाया जा रहा है वहीं आतंक के साथ कनैक्शन रखने वालों की गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। चंडीगढ़ में बैठे आला अफसर भी लोकल यूनिटों से इस बारे में रिपोर्ट ले रहे हैं।
लावारिस माहौल बना अच्छा मौका 
कहा जा रहा है कि आतंक के सरगना चुनाव के माहौल में अपने पैर पसारने का अच्छा मौका मान रहे हैं क्योंकि सी.एम. व डिप्टी सी.एम. के अलावा अन्य किसी मंत्री द्वारा अफसरों को निर्देश नहीं दिए जा सकते और न ही कोई जवाबतलबी की जा सकती है। चुनाव में नाकों पर जो पैरा मिलिट्री फोर्स तैनातकी गई थी वह या तो दूसरे राज्यों में जा चुकी है या फिर मतदान काऊंटिंग स्टेशनों पर तैनात है। पुलिस के जो अफसर जिलों में तैनात हैं वे यह सोचकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे कि नई बनने वाली सरकार में उनका तबादला कर दिया जाएगा। पुलिस पर कोई सियासी दबाव या कंट्रोल नहीं है जिस कारण वह मनमर्जी करने में लगी हुई है।

हिंदू नेताओं को मिलीं बुलेट प्रूफ गाडिय़ां 

पुलिस ने कैप्टन को सी.एम. के बराबर की सुरक्षा दे दी है। इसके अलावा चुनाव के दौरान आतंकवाद का खतरा होने के कारण हिंदू नेताओं को बुलेट प्रूफ गाडिय़ां भी दी गई हैं जिनमें पंचानंद गिरि व राजीव टंडन के नाम शामिल हैं। चुनाव परिणाम का दिन नजदीक आने के मद्देनजर नाकाबंदी की गई है जिस पर वह फोर्स लगाई गई है जो चुनाव के दौरान आई है ताकि हारने वाला कोई माहौल खराब न कर सके

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