पढि़ए आपभी ! किन बाहुबलियों को जनता ने किया पंसद और किनको नकारा

लखनऊ: यूपी विधानसभा के नतीजों ने जहां एक तरफ राजनीति पार्टियों को हैरात में डाल दिया है। इस बीच हमारी नज़र गयी चुनाव लडऩे वाले बहुबली नेताओं पर। यह बात जनता को जानना बेहद जरूरी है कि वोटरों ने किन बहबुलियों को जीत दिलाई और किसी को हार का सामना करना पड़ा।

मुख्तार अंसारी
बहुबलियों का नाम आते ही सबसे पहले नाम आता है पूर्वाचंल के नेता मुख्तार अंसारी का। मऊ की सदर सीट से मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनावा लड़ा और जनता ने दिल खोल कर वोट दिया। उन्होंने भाजपा समर्थन में चुनाव लड़े महेन्द्र राजभर को करारी हार दी।

सुशील सिंह
चंदौली के सैय्यदराज सीट से बहुबली और माफिया ब्रजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने चुनाव लड़ा और उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की।

विनय शंकर तिवारी
पूर्वाचंल के माफिया कहने जाने वाले हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर ने चिल्लूपार सीट से चुनाव लड़ा और उन्होंंने बीजेपी के राजेश त्रिपाठी को हार दी।

अमनमणि त्रिपाठी
मधुमिता हत्याकाण्ड में जेल में बंद अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि को समाजवादी पार्टी ने महराजगंज की नौतवा सीट से टिकट दिया पर बाद में उनका टिकट काट दिया और वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। अमनमणि पर अपनी पत्नी सारा की हत्या का आरोप है और वह गाजियाबाद के डासना जेल में बंद था। चंद दिन पहले ही उनको जमानत मिली थी। चुनाव में अमनमणि को जीत मिली।  

श्याम नारायण उर्फ विनीत सिंह
अपहरण के मामले में जेल में बंद रहे श्याम नारायण ने चंदौली के सैय्यदराज सीट से चुनाव लड़ा पर उनको जनता ने पंसद नहीं किया और उनको हार का सामना करना पड़ा।

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